Friday, March 21, 2025

The Big Crunch

यदा संहरते चायं

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2/58

यदा संहरते चायं कूर्मोऽङ्गानीव सर्वशः। 

इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।

यहाँ हृ - हरति / हरते

का आत्मनेपदी धातु के रूप में प्रयोग दृष्टव्य है।

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति (Manifestation) तथा प्रलय (Dissolution) इस अर्थ में सृजन और विलय है न कि निर्माण और विनाश।

यह न केवल व्यष्टि बल्कि समष्टि ब्रह्माण्ड के लिए भी सत्य है।

गीता 2/58 

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