Sunday, March 1, 2015

'युध्य' / 'yudhya'

'युध्य' / 'yudhya'
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आज का श्लोक  :
'युध्य' / 'yudhya' -युद्ध  करके, करते हुए,
अध्याय 8, श्लोक 7,
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च ।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम् ॥
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(तस्मात् सर्वेषु कालेषु माम् अनुस्मर युध्य च ।
मयि अर्पितमनोबुद्धिः माम् एव एष्यसि न संशयः ॥)
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भावार्थ :
अतएव सभी कालों में, सदा ही मुझको निरन्तर स्मरण करते और युद्ध करते हुए, मुझमें समर्पित मन-बुद्धि होने पर, निश्चय ही तुम मुझको ही प्राप्त होगे ।
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'युध्य' / 'yudhya'  - by means of performing the war,

Chapter 8, śloka 7,

tasmātsarveṣu kāleṣu
māmanusmara yudhya ca |
mayyarpitamanobuddhir-
māmevaiṣyasyasaṃśayam ||
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(tasmāt sarveṣu kāleṣu
mām anusmara yudhya ca |
mayi arpitamanobuddhiḥ
mām eva eṣyasi na saṃśayaḥ ||)
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Meaning :
Therefore dedicating all your mind and intellect, think of Me always and every moment and fight. With your mind and intellect devoted to Me you shall attain Me, there is no doubt about this.
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