Tuesday, March 31, 2015

कृष्णं शरणम्

आज की संस्कृत रचना :
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|| कृष्णं शरणम् ||
लोको मोहितो कामेन, कामो तु कृष्णेन सः |
यो कृष्णं शरणम् व्रजति क्षिप्रं कामेन मुच्यते |
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संसार में लोग काम (कामनाओं) से मोहित होकर क्लेश उठाते रहते हैं, जबकि काम भी कृष्ण से मोहित है, इसलिए जो कृष्ण की शरण जाते हैं उन्हें कामनाएं व्यथित नहीं करतीं |
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