Friday, September 19, 2025

Catch-22

1/21, 1/22

अध्याय १

अर्जुन उवाच 

हृषीकेशं तदावाक्यमिदमाह महीपते।

सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत।।२१।।

यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्।

कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे।।२२।।

अर्थ

राजा धृतराष्ट्र (महीपति) से सञ्जय कह रहे हैं :

तब अर्जुन ने हृषीकेश (भगवान् श्रीकृष्ण) से यह वाक्य कहा - हे अच्युत्! रथ को दोनों सेनाओं के मध्य इतने समय तक खड़ा रखो।

जितने समय में मैं यह देख लूँ कि युद्ध के इस उपक्रम में युद्ध करने की इच्छा रखनेवाले किसे मेरे साथ, और मुझे किसके साथ युद्ध करना है।

कैर्मया -

कैः - कः पद, कैः - 

तत् पद, अन्य पुरुष, बहुवचन, तृतीया विभक्ति

मया - 

अस्मद् पद, उत्तम पुरुष एकवचन, तृतीया विभक्ति

***

 


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