एक कविता : 19-01-2023
----------------©-------------
"जिन्दगी को बहुत प्यार हमने किया,
मौत से भी मुहब्बत निभाएँगे हम!"
आख्याहि मे को भवानुग्ररूपो
नमोऽस्तुते देववर प्रसीद।
विज्ञातुमिच्छामि भवन्तमाद्यं
न हि प्रजानामि तव प्रवृत्तिम्।।३१।।
अतिथि! तुम कब आओगे?
--
(और इसे लिखते लिखते याद आई 19-01-1990 की तिथि, किसी दिवंगत महापुरुष की पुण्यतिथि, इसलिए उनकी स्मृति को ही यह कविता / पोस्ट समर्पित है।)
***
No comments:
Post a Comment