Clash of Civilizations,
And The Gita.
सैम्युअल हटिंग्टन और
सभ्यताओं का संघर्ष
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काल का अभ्युदय और दृश्य जगत् / संसार.
The Emerging World-Scenario :
महाभारत युद्ध की समाप्ति होते होते धरती पर कलियुग का अवतरण हो गया। भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन और समस्त संसार को आगामी काल के लिए उपदेश देते हुए अपनी शिक्षाओं का सार इन श्लोकों से स्पष्ट किया :
With the end of
The Mahabharata War
And the ascent of the Kaliyuga, Lord Shrikrishna Concluded His Teachings to Arjuna and the whole of the Humanity, through the following words / stanzas :
Chapter 2, Stanza 18 :
अध्याय २, श्लोक ४९,
दूरेण ह्यवरं कर्म बुद्धियोगाद्धनञ्जय।।
बुद्धौ शरणमन्विच्छ कृपणाः फलहेतवः।।४९।।
Chapter 3, Stanza 11
अध्याय ३, श्लोक ११,
देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः।।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथः।।११।।
Chapter 3, Stanza 12
अध्याय ३, श्लोक १२,
श्रेयान्सस्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।१२।।
Chapter 5, Stanza 1
अध्याय ५, श्लोक १,
संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि।।
यच्छ्रेयः एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम्।।१।।
Chapter 7, Stanza 12
अध्याय ७ श्लोक १२,
ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये।।
मत्त एव तान्विद्धि न त्वहं तेषु च मयि।।१२।।
Chapter 8, Stanza 21
अध्याय ८, श्लोक २१,
अव्यक्तोऽक्षर इत्याहुस्तमाहुः परमां गतिम्।।
यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम।।२१।।
Chapter 9, Stanza 18
अध्याय ९, श्लोक १८,
गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत् ।।
प्रभावः प्रायः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्।।१८।।
chapter 9, Stanza 25
अध्याय ९, श्लोक २५,
यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति* पितृव्रताः।।
भूतानि यान्ति भूतेज्या मद्याजिनोऽपि माम्।।२५।।
(*please check the correct spelling of this word by clicking the label 9/25 and viewing all posts in this blog)
Chapter 12, Stanza 12
अध्याय १२, श्लोक १२,
श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते।।
ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्।।१२।।
Chapter 14, Stanza 18,
अध्याय १४, श्लोक १८,
ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्थाः मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः।।
जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसाः।।१८।।
Chapter 17, Stanza 4
अध्याय १७, श्लोक ४,
यजन्ते सात्त्विका देवान्यक्षरक्षांसि राजसाः।।
प्रेतान्भूतगणानंश्चान्ये यजन्ते तामसा जनाः।।
संक्षेप में :
And Finally ;
Chapter 18, Stanza 62
अध्याय १८, श्लोक ६२,
तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत।।
तत्प्रसादात् परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्।।६२।।
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The above post is with reference to the idea of :
"Clash of Civilizations"
- by Samuel Huntington.
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