आज का श्लोक / 'हितम्' / 'hitaM'
_________________________
अध्याय 18, श्लोक 64,
--
सर्वगुह्यतमं भूयः शृणु मे परमं वचः ।
इष्टोsसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ॥
--
( सर्वगुह्यतमं भूयः शृणु मे परमं वचः ।
इष्टः असि मे दृढम् इति ततः वक्ष्यामि ते हितम् ॥)
--
भावार्थ :
यद्यपि यह ज्ञान सर्वाधिक गूढ और गूढतम है, तथापि मैं पुनः एक बार तुमसे ये तुम्हारे लिए परम हितकारी वचन कह रहा हूँ। मेरे इन वचनों को सुनो ( हे अर्जुन!) क्योंकि तुम मेरे इष्ट हो, दृढ और परम भक्त हो।
--
Chapter 18, shloka 64,
--
'हितम्' / 'hitaM' > For the ultimate good, benefit.
--
sarvaguhyatamaM bhUyaH
shruNu me paramaM vachaH |
iShTo'si me dRDhamiti
tato vakShyAmi te hitaM ||
--
Meaning :
O Arjuna! Now once again listen to my most secret wisdom that I am revealing before you, for your ultimate good and benefit only, because you are extremely dear to me.
--
_________________________
अध्याय 18, श्लोक 64,
--
सर्वगुह्यतमं भूयः शृणु मे परमं वचः ।
इष्टोsसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ॥
--
( सर्वगुह्यतमं भूयः शृणु मे परमं वचः ।
इष्टः असि मे दृढम् इति ततः वक्ष्यामि ते हितम् ॥)
--
भावार्थ :
यद्यपि यह ज्ञान सर्वाधिक गूढ और गूढतम है, तथापि मैं पुनः एक बार तुमसे ये तुम्हारे लिए परम हितकारी वचन कह रहा हूँ। मेरे इन वचनों को सुनो ( हे अर्जुन!) क्योंकि तुम मेरे इष्ट हो, दृढ और परम भक्त हो।
--
Chapter 18, shloka 64,
--
'हितम्' / 'hitaM' > For the ultimate good, benefit.
--
sarvaguhyatamaM bhUyaH
shruNu me paramaM vachaH |
iShTo'si me dRDhamiti
tato vakShyAmi te hitaM ||
--
Meaning :
O Arjuna! Now once again listen to my most secret wisdom that I am revealing before you, for your ultimate good and benefit only, because you are extremely dear to me.
--