आज का श्लोक / 'हृद्याः '/ 'hRdyAH'
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अध्याय 17, श्लोक 8. --
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आयुःसत्त्वबलारोग्य-
सुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाःस्थिरा हृद्या
आहाराः सात्त्विकप्रियाः ॥
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हृद्या = हृद्याः
भावार्थ :
आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख एवं प्रीति इन सबका संवर्धन करनेवाले तथा रस्य - रसयुक्त (रूखे नहीं) स्निग्ध -स्नेहयुक्त, स्थिर - शरीर में अधिक समय तक साररूप से रहनेवाले (पोषक) और हृद्य अर्थात् हृदय को प्रिय ऐसे पदार्थ सात्त्विक स्वाभाव वाले मनुष्य को भाते हैं।
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'हृद्याः '/ 'hRdyAH'
Chapter 17, shlok 8.
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AyuH-sattva-balArogya-
sukha-prItirvivardhanAH |
rasyAH snigdhAH sthirA hRdyA
AhArAH sAttvika-priyAH ||
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'हृद्याः '/ 'hRdyAH' = one that is agreeable, tasteful, loved by heart.
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Meaning :
Food that ensures longevity, virtue, vigor, vitality, good health, joy and happiness, which appeals to the taste, loved by heart, and easily digestible, are liked by those with sattvik tendencies.
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अध्याय 17, श्लोक 8. --
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आयुःसत्त्वबलारोग्य-
सुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाःस्थिरा हृद्या
आहाराः सात्त्विकप्रियाः ॥
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हृद्या = हृद्याः
भावार्थ :
आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख एवं प्रीति इन सबका संवर्धन करनेवाले तथा रस्य - रसयुक्त (रूखे नहीं) स्निग्ध -स्नेहयुक्त, स्थिर - शरीर में अधिक समय तक साररूप से रहनेवाले (पोषक) और हृद्य अर्थात् हृदय को प्रिय ऐसे पदार्थ सात्त्विक स्वाभाव वाले मनुष्य को भाते हैं।
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'हृद्याः '/ 'hRdyAH'
Chapter 17, shlok 8.
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AyuH-sattva-balArogya-
sukha-prItirvivardhanAH |
rasyAH snigdhAH sthirA hRdyA
AhArAH sAttvika-priyAH ||
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'हृद्याः '/ 'hRdyAH' = one that is agreeable, tasteful, loved by heart.
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Meaning :
Food that ensures longevity, virtue, vigor, vitality, good health, joy and happiness, which appeals to the taste, loved by heart, and easily digestible, are liked by those with sattvik tendencies.
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