Wednesday, January 22, 2014

आज का श्लोक / 'हेतुमद्भिः' / 'hetumadbhiH

आज का श्लोक / 'हेतुमद्भिः'  / 'hetumadbhiH
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अध्याय 13, श्लोक 4
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ऋषिभिर्बहुधा गीतं छन्दोभिर्विविधैः पृथक्  ।
ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव  हेतुमद्भिर्विनिश्चितैः  ॥
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ऋषिभिः बहुधा गीतं छन्दोभिः विविधैः पृथक्  ।
ब्रह्मसूत्रपदैः च एव हेतुमद्भिः विनिश्चितैः  ॥
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हेतु > हेतुमद्  > तृतीया विभक्ति बहुवचन = युक्तियों से, प्रकारों से
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(इसा क्षेत्र एवं क्षेत्रज्ञ के ज्ञान को) ऋषियों ने अनेक प्रकार से गीतों में, विविध और भिन्न-भिन्न वेदमंत्रों में वर्णित किया है, विभिन्न रीतियों और युक्तियों से  पुनः ब्रह्मसूत्र के पदों में भी इसे प्रतिपादित और सुनिश्चित किया गया है ।
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Chapter 13, shloka 4.
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RShibhirbahudhA gItaM chhandobhirvividhaiH pRthak |
brahma-sUtra-padaishchaiva hetumadbhir-vinishchitaiH ||
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hetumadbhiH > by means of reasoning.
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Meaning :
Seers and sages have sung in various ways about this truth (of 'kShetra and kShetrajna', where-in puruSha is only the see-er, observer, while prakRti is the observed only.)
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