आज का श्लोक / 'हृष्टरोमा' / 'hRShTaromA'
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अध्याय 11, श्लोक 14
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ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः ।
प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत ॥
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हृष्टरोमा ; हृष्टरोमाः - पुलकित, प्रफुल्लित रोम, रोंगटे खड़े हुए हैं जिसके, वह !
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भावार्थ :
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तब विस्मय से आविष्ट हृष्टरोम धनञ्जय (अर्जुन) ने सिर झुकाकर दोनों हथेलियों की अञ्जलि बनाते हुए भगवान् को प्रणाम करते हुए यह कहा , …।
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Chapter 11, shloka 14.
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tataH sa vismayAviShTo
hRShTaromA dhananjayaH |
praNamya shirasA devaM
kRtAnjalirabhAShata ||
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hRShTaromA > hRShTaromAH > One whose hair standing on end.
--
Meaning :
Filled with amazement,
and his hair standing on end,
bowing his head,
and with folded hands,
Arjuna said thus; ... ...
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अध्याय 11, श्लोक 14
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ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः ।
प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत ॥
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हृष्टरोमा ; हृष्टरोमाः - पुलकित, प्रफुल्लित रोम, रोंगटे खड़े हुए हैं जिसके, वह !
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भावार्थ :
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तब विस्मय से आविष्ट हृष्टरोम धनञ्जय (अर्जुन) ने सिर झुकाकर दोनों हथेलियों की अञ्जलि बनाते हुए भगवान् को प्रणाम करते हुए यह कहा , …।
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Chapter 11, shloka 14.
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tataH sa vismayAviShTo
hRShTaromA dhananjayaH |
praNamya shirasA devaM
kRtAnjalirabhAShata ||
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hRShTaromA > hRShTaromAH > One whose hair standing on end.
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Meaning :
Filled with amazement,
and his hair standing on end,
bowing his head,
and with folded hands,
Arjuna said thus; ... ...
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