Tuesday, January 28, 2014

आज का श्लोक - 'हृदय-दौर्बल्यं'/'hRdaya-dourbalyaM'

आज का श्लोक
'हृदय-दौर्बल्यं'/'hRdaya-dourbalyaM' 
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अध्याय 2 , श्लोक 3,
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क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ
नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदय-दौर्बल्यं
त्यक्त्वोत्तिष्ठ  परंतप ॥
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हृदय-दौर्बल्यं  - भीरुता, भावुकता।
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भावार्थ :
हे पार्थ (अर्जुन)! ऐसी भीरुता तुझे शोभा नहीं देती।  हृदय की इस क्षुद्र दुर्बलता को त्यागो और हे परंतप, उठ खड़े होओ !
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'हृदय-दौर्बल्यं'/'hRdaya-dourbalyaM'
Meaning : cowardice, weakness of sentiments.
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O Arjun! O Man of Great penances, tormentor of enemies! Get rid of this weakness of heart, and stand up with firm determination.
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