Thursday, January 23, 2014

आज का श्लोक / 'हेतवः' / 'hetavaH'

आज का श्लोक / 'हेतवः' 'hetavaH' 
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अध्याय 18, श्लोक १५,
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शरीरवाङ्गमनोभिर्यत्कर्म  प्रारभते   नरः ।
न्याय्यं वा विपरीतं वा पञ्चैते  हेतवः  ॥
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मनुष्य शरीर, वाणी, मन आदि  से न्यायसम्मत  या न्याय से विपरीत जिस किसी भी कर्म को आरम्भ  करता है, उसे करने के हेतु (कारक, कार्यकारी तत्व, अधिष्ठान, करता, करण, चेष्टा तथा दैव  -पिछले श्लोक में विस्तार से वर्णित किए गए ये पाँच ) हैं।
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Chapter 18, shlok 15.
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  'हेतवः' 'hetavaH' 
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sharIra-vAngmanobhiryatkarma prArabhate naraH |
nyAyyaM vA viparItaM vA panchaite tasya hetavaH ||
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Physical, verbal or mental, whatever right or wrong action one begins to perform, these 5 factors
( 1.the seat / support of action / sense of self, / 2.the 'doer', 3. organs of action, 4. various efforts, and 5. Destiny) are behind the action.
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