आज का श्लोक, ’सम्प्रकीर्तितः’ / ’samprakīrtitaḥ’,
_____________________________________
’सम्प्रकीर्तितः’ / ’samprakīrtitaḥ’ - जैसा शास्त्रों में कहा गया है,
अध्याय 18, श्लोक 4,
निश्चयं शृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम ।
त्यागो हि पुरुषव्याघ्र त्रिविधः सम्प्रकीर्तितः ॥
--
(निश्चयम् शृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम ।
त्यागः हि पुरुषव्याघ्र त्रिविधः सम्प्रकीर्तितः ॥)
--
भावार्थ :
हे पुरुषश्रेष्ठ, भरतकुलोत्पन्न अर्जुन! (इस अध्याय 18 के प्रथम श्लोक में अर्जुन द्वारा संन्यास और त्याग की जिज्ञासा किए जाने पर) इस संबंध में अब जैसा मेरा सुनिश्चय है और जैसा कहा जाता है, उसे सुनो । त्याग तीन प्रकार का कहा गया है ।
--
’सम्प्रकीर्तितः’ / ’samprakīrtitaḥ’ - As is described in scripures,
Chapter 18, shloka 4,
niścayaṃ śṛṇu me tatra
tyāge bharatasattama |
tyāgo hi puruṣavyāghra
trividhaḥ samprakīrtitaḥ ||
--
(niścayam śṛṇu me tatra
tyāge bharatasattama |
tyāgaḥ hi puruṣavyāghra
trividhaḥ samprakīrtitaḥ ||)
--
Meaning :
( To arjuna's question about the difference between saṃnyāsa and tyāga, in shloka 1 of this chapter 18, śrīkṛṣṇa answers :)
Now listen to my opinion about (saṃnyāsa and) tyāga. According to scriptures, tyāga is of three kinds.
--
_____________________________________
’सम्प्रकीर्तितः’ / ’samprakīrtitaḥ’ - जैसा शास्त्रों में कहा गया है,
अध्याय 18, श्लोक 4,
निश्चयं शृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम ।
त्यागो हि पुरुषव्याघ्र त्रिविधः सम्प्रकीर्तितः ॥
--
(निश्चयम् शृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम ।
त्यागः हि पुरुषव्याघ्र त्रिविधः सम्प्रकीर्तितः ॥)
--
भावार्थ :
हे पुरुषश्रेष्ठ, भरतकुलोत्पन्न अर्जुन! (इस अध्याय 18 के प्रथम श्लोक में अर्जुन द्वारा संन्यास और त्याग की जिज्ञासा किए जाने पर) इस संबंध में अब जैसा मेरा सुनिश्चय है और जैसा कहा जाता है, उसे सुनो । त्याग तीन प्रकार का कहा गया है ।
--
’सम्प्रकीर्तितः’ / ’samprakīrtitaḥ’ - As is described in scripures,
Chapter 18, shloka 4,
niścayaṃ śṛṇu me tatra
tyāge bharatasattama |
tyāgo hi puruṣavyāghra
trividhaḥ samprakīrtitaḥ ||
--
(niścayam śṛṇu me tatra
tyāge bharatasattama |
tyāgaḥ hi puruṣavyāghra
trividhaḥ samprakīrtitaḥ ||)
--
Meaning :
( To arjuna's question about the difference between saṃnyāsa and tyāga, in shloka 1 of this chapter 18, śrīkṛṣṇa answers :)
Now listen to my opinion about (saṃnyāsa and) tyāga. According to scriptures, tyāga is of three kinds.
--
No comments:
Post a Comment