Sunday, May 11, 2014

आज का श्लोक, ’संयमताम्’ / ’saṃyamatām’,

आज का श्लोक,  ’संयमताम्’ /  ’saṃyamatām’
____________________________________

’संयमताम्’ /  ’saṃyamatām’ -शासन करनेवालों में,

अध्याय 10, श्लोक 29,

अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् ।
पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम् ॥
--
(अनन्तः च अस्मि नागानाम् वरुणो यादसाम् अहम् ।
पितॄणाम् अर्यमा च अस्मि यमः संयमताम् अहम् ॥)
--
भावार्थ :
और अनन्त नामक नाग, नागों में हूँ, समुद्रों में वरुण मैं, और पितरों में अर्यमा हूँ, (इसी प्रकार से) संयम / शासन करनेवालों में यमराज मैं हूँ ।
--
टिप्पणी :
यहाँ उपरोक्त सभी ’देवता’ यहाँ वर्णित उनके अपने ’लोकों’ के अधिष्ठाता हैं ।
अगः / अगं = जो  गतिरहित है । न+ अगः = सतत् गतिशील अर्थात् प्राण । इसे ही बल के अर्थ में हाथी के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है । इसलिए हाथी को 'नाग' कहा जाता है ।
’नगज:’ के क्रमशः दो अर्थ हैं  1. जो पर्वत से पैदा हुआ हो, 2. जो हाथी न हो । (नरो वा कुञ्जरो वा?)
ब्रह्मा ’विधि’ और विधाता हैं, यमराज ’विधान’ हैं ।
(ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः शं नो भवतु अर्यमा । ...यजुर्वेदीय शान्तिपाठः)

--
’संयमताम्’ /  ’saṃyamatām’ - Among the Rulers / Administrators.

Chapter 10, shloka 29,

anantaścāsmi nāgānāṃ
varuṇo yādasāmaham |
pitr̥̄ṇāmaryamā cāsmi
yamaḥ saṃyamatāmaham ||
--
(anantaḥ ca asmi nāgānām
varuṇo yādasām aham |
pitr̥̄ṇām aryamā ca asmi
yamaḥ saṃyamatām aham ||)
--
Meaning :
Among the snakes and serpents (things of the moving kind) 'ananta' I AM, Among the water-bodies, 'varuṇa', I AM. Among the departed souls, I Am aryamā. And The Lord of Death among the Administrators.
--
(om̐ śaṃ no mitraḥ śaṃ varuṇaḥ śaṃ no bhavatu aryamā | ...yajurvedīya śāntipāṭhaḥ)

--

No comments:

Post a Comment