आज का श्लोक, ’सम्प्रेक्ष्य’ / ’saṃprekṣya’,
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’सम्प्रेक्ष्य’ / ’saṃprekṣya’ - स्थिर दृष्टि से देखते हुए,
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अध्याय 6, श्लोक 13,
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिरः ।
सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् ॥
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(समं कायशिरोग्रीवं धारयन् अचलं स्थिरः ।
सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशः च अनवलोकयन् ॥
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भावार्थ :
काया, सिर तथा गर्दन को सीधा और अचल रखते हुए, दिशाओं को न देखते हुए अपनी नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि रखे ।
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’सम्प्रेक्ष्य’ / ’saṃprekṣya’, - having the eyes looking at,
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Chapter 6, shloka 13,
samaṃ kāyaśirogrīvaṃ
dhārayannacalaṃ sthiraḥ |
samprekṣya nāsikāgraṃ svaṃ
diśaścānavalokayan ||
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(samaṃ kāyaśirogrīvaṃ
dhārayan acalaṃ sthiraḥ |
samprekṣya nāsikāgraṃ svaṃ
diśaḥ ca anavalokayan ||
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Meaning :
While practicing meditation, make sure the body, the head, and the neck are erect and motionless, the attention (externally) is withdrawn from all the other directions and is fixed onto the tip of the nose.
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’सम्प्रेक्ष्य’ / ’saṃprekṣya’ - स्थिर दृष्टि से देखते हुए,
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अध्याय 6, श्लोक 13,
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिरः ।
सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् ॥
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(समं कायशिरोग्रीवं धारयन् अचलं स्थिरः ।
सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशः च अनवलोकयन् ॥
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भावार्थ :
काया, सिर तथा गर्दन को सीधा और अचल रखते हुए, दिशाओं को न देखते हुए अपनी नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि रखे ।
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’सम्प्रेक्ष्य’ / ’saṃprekṣya’, - having the eyes looking at,
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Chapter 6, shloka 13,
samaṃ kāyaśirogrīvaṃ
dhārayannacalaṃ sthiraḥ |
samprekṣya nāsikāgraṃ svaṃ
diśaścānavalokayan ||
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(samaṃ kāyaśirogrīvaṃ
dhārayan acalaṃ sthiraḥ |
samprekṣya nāsikāgraṃ svaṃ
diśaḥ ca anavalokayan ||
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Meaning :
While practicing meditation, make sure the body, the head, and the neck are erect and motionless, the attention (externally) is withdrawn from all the other directions and is fixed onto the tip of the nose.
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