आज का श्लोक, ’योगे’ / ’yoge’
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’योगे’ / ’yoge’ - योग (के संबंध) में,
अध्याय 2, श्लोक 39,
एषा तेऽभिहिता साङ्ख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां शृणु ।
बुद्ध्या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥
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(एषा ते अभिहिता साङ्ख्ये बुद्धिः योगे तु इमाम् शृणु ।
बुद्ध्या युक्तः यया पार्थ कर्मबन्धम् प्रहास्यसि ॥)
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भावार्थ :
साँख्य-शास्त्र में इसकी ही शिक्षा दी गई है, इस बुद्धियोग (ज्ञानयोग) के बारे में सुनो । जिससे बुद्धि से युक्त होकर हे पार्थ! तुम कर्मबन्धन को भली-भाँति त्याग दोगे, अर्थात् नष्ट कर दोगे ।
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’योगे’ / ’yoge’ - योग (के संबंध) में,
अध्याय 2, श्लोक 39,
एषा तेऽभिहिता साङ्ख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां शृणु ।
बुद्ध्या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥
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(एषा ते अभिहिता साङ्ख्ये बुद्धिः योगे तु इमाम् शृणु ।
बुद्ध्या युक्तः यया पार्थ कर्मबन्धम् प्रहास्यसि ॥)
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भावार्थ :
साँख्य-शास्त्र में इसकी ही शिक्षा दी गई है, इस बुद्धियोग (ज्ञानयोग) के बारे में सुनो । जिससे बुद्धि से युक्त होकर हे पार्थ! तुम कर्मबन्धन को भली-भाँति त्याग दोगे, अर्थात् नष्ट कर दोगे ।
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’योगे’ / ’yoge’ - in (reference with) yoga,
Chapter 2, śloka 39,
eṣā te:'bhihitā sāṅkhye
buddhiryoge tvimāṃ śṛṇu |
buddhyā yukto yayā pārtha
karmabandhaṃ prahāsyasi ||
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(eṣā te abhihitā sāṅkhye
buddhiḥ yoge tu imām śṛṇu |
buddhyā yuktaḥ yayā pārtha
karmabandham prahāsyasi ||)
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Meaning :
Listen to this Yoga of Wisdom as is dealt with in sāṅkhya-śāstra. Which, having attained by you, you will be able to destroy the bondage of 'karma'.
(Because no one can escape 'karma' / 'action'. But one can sure learn how to perform the 'karma' with right knowledge / wisdom, in such a way so that the bondage may weaken and is ultimately cut asunder, and one is free.)
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