Saturday, October 4, 2014

आज का श्लोक, ’योत्स्ये’ / ’yotsye’

आज का श्लोक,  ’योत्स्ये’ /  ’yotsye’ 
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’योत्स्ये’ /  ’yotsye’ - युद्ध करूँगा,
अध्याय 2, श्लोक 9,
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सञ्जय उवाच :
एवमुक्त्वा हृषीकेशमं गुडाकेशः परंतप ।
योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं  बभूव ह ॥
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(एवम् उक्त्वा  हृषीकेशम्  गुडाकेशः परंतप ।
योत्स्ये इति गोविन्दम् उक्त्वा तूष्णीम् बभूव ह ॥)
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भावार्थ :
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'मैं युद्ध नहीं करूँगा';
- परंतप गुडाकेश (अर्जुन) भगवान् श्रीकृष्ण से इस प्रकार से कहकर मौन हो गया ।
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अध्याय 18, श्लोक 59,

यदहङ्कारमाश्रित्य न योत्स्य इति मन्यसे ।
मिथ्यैष व्यवसायस्ते  प्रकृतिस्त्वां नियोक्ष्यति ॥
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(यत्-अहङ्कारम् आश्रित्य न योत्स्ये इति मन्यसे ।
मिथ्या एषः व्यवसायः ते प्रकृतिः त्वाम् नियोक्ष्यति ॥)
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भावार्थ :
यदि अहंकार करते हुए तुम  हठ से ’मैं युद्ध नहीं करूँगा’ ऐसा भी मान लो, तो तुम्हारा यह संकल्प मिथ्या है क्योंकि तुम्हारा स्वभाव ही बलपूर्वक तुम्हें युद्ध करने के लिए  बाध्य कर देगा ।

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’योत्स्ये’ /  ’yotsye’ - (I) shall fight,

Chapter 2, shloka 9.

sañjaya uvāca :
evamuktvā hṛṣīkeśamaṃ
guḍākeśaḥ paraṃtapa |
na yotsya iti govindam-
uktvā tūṣṇīṃ  babhūva ha ||
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(evam uktvā  hṛṣīkeśam
guḍākeśaḥ paraṃtapa |
na yotsye iti govindam
uktvā tūṣṇīm babhūva ha ||)
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Meaning :
Saying so to śrīkṛṣṇa, The paraṃtapa, the great ascetic arjuna, expressed his decision to with-draw from the war, and became silent.
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Chapter 18, śloka 59,

yadahaṅkāramāśritya
na yotsya iti manyase |
mithyaiṣa vyavasāyaste
prakṛtistvāṃ niyokṣyati ||
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(yat-ahaṅkāram āśritya
na yotsye iti manyase |
mithyā eṣaḥ vyavasāyaḥ te
prakṛtiḥ tvām niyokṣyati ||)
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Meaning :
Even if propelled by your ego you say and insist upon : 'I shall not fight', this your insistence will be false, because your very nature will push you forcefully into the war.
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