आज का श्लोक, ’योगेश्वर’ / ’yogeśvara’
_____________________________
’योगेश्वर’ / ’yogeśvara’ - हे योगेश्वर, हे योगिराज,
अध्याय 11, श्लोक 4,
मन्यसे यदि तच्छक्यं मयाद्र्ष्टुमिति प्रभो ।
योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयात्मानमव्ययम् ।
--
(मन्यसे यदि तत् शक्यम् मया द्रष्टुम् इति प्रभो ।
योगेश्वर ततः मे त्वम् दर्शय आत्मानम् अव्ययम् ॥)
--
भावार्थ :
हे प्रभु (कृष्ण)! यदि आप यह मानते हैं कि आपका वह अपना अव्यय स्वरूप देख पाना मेरे लिए संभव है तो हे योगेश्वर ! कृपया मुझे उसके दर्शन कराइये ।
--
_____________________________
’योगेश्वर’ / ’yogeśvara’ - हे योगेश्वर, हे योगिराज,
अध्याय 11, श्लोक 4,
मन्यसे यदि तच्छक्यं मयाद्र्ष्टुमिति प्रभो ।
योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयात्मानमव्ययम् ।
--
(मन्यसे यदि तत् शक्यम् मया द्रष्टुम् इति प्रभो ।
योगेश्वर ततः मे त्वम् दर्शय आत्मानम् अव्ययम् ॥)
--
भावार्थ :
हे प्रभु (कृष्ण)! यदि आप यह मानते हैं कि आपका वह अपना अव्यय स्वरूप देख पाना मेरे लिए संभव है तो हे योगेश्वर ! कृपया मुझे उसके दर्शन कराइये ।
--
’योगेश्वर’ / ’yogeśvara’ - O Lord of Yoga (śrīkṛṣṇa)!
Chapter 11, śloka 4,
manyase yadi tacchakyaṃ
mayādrṣṭumiti prabho |
yogeśvara tato me tvaṃ
darśayātmānamavyayam |
--
(manyase yadi tat śakyam
mayā draṣṭum iti prabho |
yogeśvara tataḥ me tvam
darśaya ātmānam avyayam ||)
--
Meaning :
O Lord (kṛṣṇa)! If You think for me that I could possibly see Your That Eternal form, kindly show me O yogeśvara ( Lord of yoga) !
--
No comments:
Post a Comment