Wednesday, April 9, 2014

आज का श्लोक, ’साहङ्कारेण’ / 'sAhaMkAreNa',

आज का श्लोक, ’साहङ्कारेण’ / 'sAhaMkAreNa',
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’साहङ्कारेण’ / 'sAhaMkAreNa' - (’मैं’ के आग्रहपूर्वक)

अध्याय 18, श्लोक 24,

यत्तु कामेप्सुना कर्म साहङ्कारेण वा पुनः ।
क्रियते बहुलायासं तद्राजसमुदाहृतम् ॥
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(यत् तु कामेप्सुना कर्म स-अहङ्कारेण वा पुनः ।
क्रियते बहुलायासम् तत्-राजसम्-उदाहृतम् ।)
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किन्तु, जिस कर्म को भोगों की प्राप्ति के उद्देश्य से, ’मैं’ करता हूँ इस आग्रह के साथ किया जाता है, या फिर जिसे बहुत परिश्रम से किया जाता है, उसको राजस कर्म कहा जाता है ।
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’साहङ्कारेण’ / 'sAhaMkAreNa' - egoistically.

Chapter 18, shloka 24,

yattu kAmepsunA karma
sAhaMkAreNa wA punaH |
kriyate bahulAyAsaM
tadrAjasamudAhRtaM ||
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But, The action that is prompted by the desire for enjoyment of pleasures, or is done with the attitude of ego, and requires a lot of effort is called rajasa karma.
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