आज का श्लोक, ’सिद्धः’ / 'siddhaH',
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’सिद्धः’ / 'siddhaH' - पूर्ण, सफल,
अध्याय 16, श्लोक 14,
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असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि ।
ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी ॥
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(असौ मया हतः शत्रुः हनिष्ये च अपरानपि ।
ईश्वरः अहं अहं भोगी सिद्धः अहं बलवान् सुखी ॥)
*
भावार्थ :
वह शत्रु मेरे द्वारा मारा जा चुका, दूसरों को भी मार डालूँगा । मैं ही सर्वशक्तिमान हूँ, मैं ही सब सुखों का भोगकर्ता हूँ । मैं ही यशस्वी, बलवान और सुखी हूँ ।
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’सिद्धः’ / 'siddhaH' - successful, accomplished, perfect,
Chapter 16, shloka 14,
asau mayA hataH shatrur-
haniShye chAparAnapi |
Ishvaro'hamahaM bhogI
siddho'haM balavAnsukhI ||
--
Meaning :
That one enemy has been killed by me, I shall sure kill the others too. I am the lord, I alone enjoy all the riches, I am successful, powerful and happy.
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’सिद्धः’ / 'siddhaH' - पूर्ण, सफल,
अध्याय 16, श्लोक 14,
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असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि ।
ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी ॥
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(असौ मया हतः शत्रुः हनिष्ये च अपरानपि ।
ईश्वरः अहं अहं भोगी सिद्धः अहं बलवान् सुखी ॥)
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भावार्थ :
वह शत्रु मेरे द्वारा मारा जा चुका, दूसरों को भी मार डालूँगा । मैं ही सर्वशक्तिमान हूँ, मैं ही सब सुखों का भोगकर्ता हूँ । मैं ही यशस्वी, बलवान और सुखी हूँ ।
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’सिद्धः’ / 'siddhaH' - successful, accomplished, perfect,
Chapter 16, shloka 14,
asau mayA hataH shatrur-
haniShye chAparAnapi |
Ishvaro'hamahaM bhogI
siddho'haM balavAnsukhI ||
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Meaning :
That one enemy has been killed by me, I shall sure kill the others too. I am the lord, I alone enjoy all the riches, I am successful, powerful and happy.
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