आज का श्लोक, 'सात्त्विकप्रिया' / 'sāttvikapriyāḥ'
___________________________________
’सात्त्विकप्रिया” / 'sāttvikapriyāḥ' सात्त्विक प्रवृत्ति रखनेवालों के लिए प्रिय और अनुकूल,
अध्याय 17, श्लोक 8.
--
आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाःस्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः ॥
--
(आयुःसत्त्व-बल-आरोग्य-सुख-प्रीति-विवर्धनाः ।
रस्याः स्निग्धाः स्थिराः हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः॥)
--
भावार्थ :
आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख एवं प्रीति इन सबका संवर्धन करनेवाले तथा रस्य - रसयुक्त (रूखे नहीं) स्निग्ध -स्नेहयुक्त, स्थिर - शरीर में अधिक समय तक साररूप से रहनेवाले (पोषक) और हृद्य अर्थात् हृदय को प्रिय ऐसे पदार्थ सात्त्विक स्वाभाव वाले मनुष्य को भाते हैं।
--
’सात्त्विकप्रिया” / 'sāttvikapriyāḥ' - favourite to the people with the sāttvika nature of mind.
Chapter 17, shlok 8.
--
āyuḥsattvabalārogya-
sukhaprītivivardhanāḥ|
rasyāḥ snigdhāḥsthirā hṛdyā
āhārāḥ sāttvikapriyāḥ ||
--
(āyuḥsattva-bala-ārogya-
sukha-prīti-vivardhanāḥ |
rasyāḥ snigdhāḥ sthirāḥ hṛdyā
āhārāḥ sāttvikapriyāḥ||)
--
--
Meaning :
Food that ensures longevity, virtue, vigor, vitality, good health, joy and happiness, which appeals to the taste, contains oils / ghee / butter in moderate quantity, loved by heart, and easily digestible, are liked by those with sāttvika tendencies.
--
___________________________________
’सात्त्विकप्रिया” / 'sāttvikapriyāḥ' सात्त्विक प्रवृत्ति रखनेवालों के लिए प्रिय और अनुकूल,
अध्याय 17, श्लोक 8.
--
आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाःस्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः ॥
--
(आयुःसत्त्व-बल-आरोग्य-सुख-प्रीति-विवर्धनाः ।
रस्याः स्निग्धाः स्थिराः हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः॥)
--
भावार्थ :
आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख एवं प्रीति इन सबका संवर्धन करनेवाले तथा रस्य - रसयुक्त (रूखे नहीं) स्निग्ध -स्नेहयुक्त, स्थिर - शरीर में अधिक समय तक साररूप से रहनेवाले (पोषक) और हृद्य अर्थात् हृदय को प्रिय ऐसे पदार्थ सात्त्विक स्वाभाव वाले मनुष्य को भाते हैं।
--
’सात्त्विकप्रिया” / 'sāttvikapriyāḥ' - favourite to the people with the sāttvika nature of mind.
Chapter 17, shlok 8.
--
āyuḥsattvabalārogya-
sukhaprītivivardhanāḥ|
rasyāḥ snigdhāḥsthirā hṛdyā
āhārāḥ sāttvikapriyāḥ ||
--
(āyuḥsattva-bala-ārogya-
sukha-prīti-vivardhanāḥ |
rasyāḥ snigdhāḥ sthirāḥ hṛdyā
āhārāḥ sāttvikapriyāḥ||)
--
--
Meaning :
Food that ensures longevity, virtue, vigor, vitality, good health, joy and happiness, which appeals to the taste, contains oils / ghee / butter in moderate quantity, loved by heart, and easily digestible, are liked by those with sāttvika tendencies.
--
No comments:
Post a Comment