आज का श्लोक, ’सिद्धये’ / 'siddhaye',
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’सिद्धये’ / 'siddhaye'
अध्याय 7, श्लोक 3,
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये ।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः ॥
--
(मनुष्याणाम् सहस्रेषु कश्चित् यतति सिद्धये ।
यतताम् अपि सिद्धानाम् कश्चित् माम् वेत्ति तत्त्वतः ॥)
--
भावार्थ :
सहस्रों मनुष्यों में कोई एक ही वास्तविक जिज्ञासु होता है, और तत्व को जानने के लिए यत्न किया करता है । ऐसे जिज्ञासुओं में से जो तत्त्व को जान लेते हैं, और सिद्ध कहे जाते हैं उनमें से भी कोई कोई ही मुझे तत्त्व से भी जानता है ।
--
अध्याय 18, श्लोक 13,
पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे ।
साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ॥
--
(पञ्च एतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे ।
साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ॥)
-
भावार्थ :
हे महाबाहु (अर्जुन) ! कर्म का अन्त करने के लिए उपाय बतलानेवाले साँख्यशास्त्र में किसी भी कर्म के फलीभूत होने में सहायक जो पाँच कारण कहे गए हैं, उन्हें मुझसे सुनो ।
--
’सिद्धये’ / 'siddhaye' - for coming out fruitful.
Chapter 7, shloka 3,
manuShyANAM sahasreShu
kashchidyatati siddhaye |
yatatAmapi siddhAnAM
kashchinmAM vetti tattvataH ||
--
Meaning :
Among thousands of men, a rare one attempts to gain the spiritual truth. And even if a few attain the spiritual truth, most ('sidhha', / 'arhat', / adept, lured by spiritual powers, don't go further) don't know ME in the true sense.
--
Chapter 18, shloka 13,
panchaitAni mahAbAho
kAraNAni nibodha me |
sAMkhye kRtAnte proktAni
siddhaye sarvakarmaNAM ||
--
Meaning :
O mahAbAhu (arjuna)! sAMkhya-shAstra, which tells us how to end the (circle of) karma, also tells us about these 5 factors that contribute for happening of all 'karma' / action. Hear them from Me.
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’सिद्धये’ / 'siddhaye'
अध्याय 7, श्लोक 3,
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये ।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः ॥
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(मनुष्याणाम् सहस्रेषु कश्चित् यतति सिद्धये ।
यतताम् अपि सिद्धानाम् कश्चित् माम् वेत्ति तत्त्वतः ॥)
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भावार्थ :
सहस्रों मनुष्यों में कोई एक ही वास्तविक जिज्ञासु होता है, और तत्व को जानने के लिए यत्न किया करता है । ऐसे जिज्ञासुओं में से जो तत्त्व को जान लेते हैं, और सिद्ध कहे जाते हैं उनमें से भी कोई कोई ही मुझे तत्त्व से भी जानता है ।
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अध्याय 18, श्लोक 13,
पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे ।
साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ॥
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(पञ्च एतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे ।
साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम् ॥)
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भावार्थ :
हे महाबाहु (अर्जुन) ! कर्म का अन्त करने के लिए उपाय बतलानेवाले साँख्यशास्त्र में किसी भी कर्म के फलीभूत होने में सहायक जो पाँच कारण कहे गए हैं, उन्हें मुझसे सुनो ।
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’सिद्धये’ / 'siddhaye' - for coming out fruitful.
Chapter 7, shloka 3,
manuShyANAM sahasreShu
kashchidyatati siddhaye |
yatatAmapi siddhAnAM
kashchinmAM vetti tattvataH ||
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Meaning :
Among thousands of men, a rare one attempts to gain the spiritual truth. And even if a few attain the spiritual truth, most ('sidhha', / 'arhat', / adept, lured by spiritual powers, don't go further) don't know ME in the true sense.
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Chapter 18, shloka 13,
panchaitAni mahAbAho
kAraNAni nibodha me |
sAMkhye kRtAnte proktAni
siddhaye sarvakarmaNAM ||
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Meaning :
O mahAbAhu (arjuna)! sAMkhya-shAstra, which tells us how to end the (circle of) karma, also tells us about these 5 factors that contribute for happening of all 'karma' / action. Hear them from Me.
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