Thursday, April 10, 2014

आज का श्लोक, ’सामर्थ्यम्’ / 'sAmarthyaM',

आज का श्लोक, ’सामर्थ्यम्’ / 'sAmarthyaM',
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’सामर्थ्यम्’ / 'sAmarthyaM' - शक्ति, शौर्य, सामर्थ्य,

अध्याय 2, श्लोक 36,

अवाच्यवादांश्च बहून्वदिष्यन्ति तवाहिताः ।
निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम् ॥
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(अवाच्यवादान् च बहून् वदिष्यन्ति तव अहिताः ।
निन्दन्तः तव सामर्थ्यम् ततः दुःखतरम् नु किम् ॥)
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भावार्थ :
तुम्हारे वैरी तुम्हारे सामर्थ्य की निन्दा-उपहास करते हुए, बहुत से अशोभनीय शब्द तुम्हारे बारे में कहेंगे । उससे बढ़कर अधिक दुःखप्रद और क्या होगा?
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’सामर्थ्यम्’ / 'sAmarthyaM' - might,  strength,

Chapter 2, shloka 36,

avAchyavAdAnshcha bahUn-
vadiShyanti tavAhitAH |
nindantastava sAmarthyaM
tato duHkhataraM nu kim ||
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Meaning : (if you flee from the battle,) your adversaries will jeer at you, will speak many unkind words about you, belittling your might. Can there be a sorrow greater than this?
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