आज का श्लोक / 'हन्यमाने'/'hanyamAne'
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न जायते म्रियते वा कदाचिन्-
नायं भूत्वाsभविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोsयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥
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(न जायते म्रियते वा कदाचित् -
न अयं भूत्वा अभविता वा न भूयः ।
अजः नित्यः शाश्वतः अयं पुराणः
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥)
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हन्यमाने - मर्त्य, जिसे मारा जा सके ।
भावार्थ :
आत्मा न तो कभी जन्म लेती है, और न ही कभी मृत्यु को प्राप्त होती है, और ऐसा भी नहीं कि व्यक्त होकर फिर अव्यक्त हो जाती हो (जैसा कि शरीर व्यक्त और अव्यक्त होता है )। यह (आत्मा) जन्म-रहित नित्य, शाश्वत और सदा रहनेवाली वस्तु है , जो कि शरीर के मर जाने या मार दिए जाने से नहीं मरती ।
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Chapter 2, shloka 20,
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na jAyate mriyate vA kadAchin-
nAyaM bhUtvA'bhavitA vA na bhUyaH |
ajo nityaM shAshvato'yaM purANo
na hanyate hanyamAne sharIre ||
--
'हन्यमाने'/'hanyamAne',
That could be killed.
Meaning :
Self is neither born, nor dies at any time. 'Self' neither 'becomes'/ 'appears' nor 'dissolves'/disappears' to manifest again. 'Self' is birth-less, is ever-present, eternal and timeless, and dies not even if the body is slain.
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न जायते म्रियते वा कदाचिन्-
नायं भूत्वाsभविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोsयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥
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(न जायते म्रियते वा कदाचित् -
न अयं भूत्वा अभविता वा न भूयः ।
अजः नित्यः शाश्वतः अयं पुराणः
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥)
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हन्यमाने - मर्त्य, जिसे मारा जा सके ।
भावार्थ :
आत्मा न तो कभी जन्म लेती है, और न ही कभी मृत्यु को प्राप्त होती है, और ऐसा भी नहीं कि व्यक्त होकर फिर अव्यक्त हो जाती हो (जैसा कि शरीर व्यक्त और अव्यक्त होता है )। यह (आत्मा) जन्म-रहित नित्य, शाश्वत और सदा रहनेवाली वस्तु है , जो कि शरीर के मर जाने या मार दिए जाने से नहीं मरती ।
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Chapter 2, shloka 20,
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na jAyate mriyate vA kadAchin-
nAyaM bhUtvA'bhavitA vA na bhUyaH |
ajo nityaM shAshvato'yaM purANo
na hanyate hanyamAne sharIre ||
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'हन्यमाने'/'hanyamAne',
That could be killed.
Meaning :
Self is neither born, nor dies at any time. 'Self' neither 'becomes'/ 'appears' nor 'dissolves'/disappears' to manifest again. 'Self' is birth-less, is ever-present, eternal and timeless, and dies not even if the body is slain.
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