Thursday, February 27, 2014

आज का श्लोक, ’स्युः’ / 'syuH'

आज का श्लोक ’स्युः’ / 'syuH'
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अध्याय 9, श्लोक 32,
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मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः ।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् ॥
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(माम् हि पार्थ व्यपाश्रित्य ये अपि स्युः पापयोनयः ।
स्त्रियः वैश्याः तथा शूद्राः ते अपि यान्ति परां गतिम् ॥)
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भावार्थ :
हे पार्थ! स्त्री, वैश्य, तथा शूद्र, वे भी, मेरी शरण होकर परम गति को ही प्राप्त हो जाते हैं ।
(टिप्पणी : परम-गति के लिए सभी पात्र हैं ।)
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’स्युः’ / 'syuH'
Chapter 9, shloka 32,
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mAM hi pArtha vyapAshritya
y'pi syuH pApayonayaH |
striyo vaishyAstathA shUdrA-
ste'pi yAnti parAM gatiM ||
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Meaning :
Who-so-ever takes refuge in Me, be they of sinful birth, women, vaishya, or even shUdra, they all attain the Supreme State.
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