आज का श्लोक ’स्युः’ / 'syuH'
__________________________
अध्याय 9, श्लोक 32,
--
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः ।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् ॥
--
(माम् हि पार्थ व्यपाश्रित्य ये अपि स्युः पापयोनयः ।
स्त्रियः वैश्याः तथा शूद्राः ते अपि यान्ति परां गतिम् ॥)
--
भावार्थ :
हे पार्थ! स्त्री, वैश्य, तथा शूद्र, वे भी, मेरी शरण होकर परम गति को ही प्राप्त हो जाते हैं ।
(टिप्पणी : परम-गति के लिए सभी पात्र हैं ।)
--
’स्युः’ / 'syuH'
Chapter 9, shloka 32,
--
mAM hi pArtha vyapAshritya
y'pi syuH pApayonayaH |
striyo vaishyAstathA shUdrA-
ste'pi yAnti parAM gatiM ||
--
Meaning :
Who-so-ever takes refuge in Me, be they of sinful birth, women, vaishya, or even shUdra, they all attain the Supreme State.
--
__________________________
अध्याय 9, श्लोक 32,
--
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः ।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् ॥
--
(माम् हि पार्थ व्यपाश्रित्य ये अपि स्युः पापयोनयः ।
स्त्रियः वैश्याः तथा शूद्राः ते अपि यान्ति परां गतिम् ॥)
--
भावार्थ :
हे पार्थ! स्त्री, वैश्य, तथा शूद्र, वे भी, मेरी शरण होकर परम गति को ही प्राप्त हो जाते हैं ।
(टिप्पणी : परम-गति के लिए सभी पात्र हैं ।)
--
’स्युः’ / 'syuH'
Chapter 9, shloka 32,
--
mAM hi pArtha vyapAshritya
y'pi syuH pApayonayaH |
striyo vaishyAstathA shUdrA-
ste'pi yAnti parAM gatiM ||
--
Meaning :
Who-so-ever takes refuge in Me, be they of sinful birth, women, vaishya, or even shUdra, they all attain the Supreme State.
--
No comments:
Post a Comment