आज का श्लोक /
हर्षशोकान्वितः / 'harShashokAnvitaH'
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रागी कर्मफल प्रेप्सुर्लुब्धो हिंसात्मकोsशुचिः ।
हर्षशोकान्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः ॥
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(रागी कर्मफलप्रेप्सुः लुब्धः हिंसात्मकः अशुचिः ।
हर्षशोक-अन्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः ॥)
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हर्षशोकान्वितः - हर्ष एवं शोक से युक्त।
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भावार्थ :
ऐसे कर्म को जिसे करनेवाला कर्ता रागबुद्धि से युक्त होकर कर्म के विशिष्ट फल की अपेक्षा रखता है, जो हिंसा का प्रयोग करता है, हर्ष एवं शोक युक्त है, राजस कहा जाता है ।
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Chapter 18, shloka 27,
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rAgI karmaphalaprepsur-
lubdho hinsAtmako'shuchiH |
harSha-shokAnvitaH kartA
rAjasaH parikIrtitaH ||
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Meaning :
The one who prompted by desire, motivated by and expecting a certain result of the action, and prone to be overwhelmed by the emotions involving elation or depression from moment to moment, is said a 'rAjasa' kartA (doer).
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हर्षशोकान्वितः / 'harShashokAnvitaH'
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रागी कर्मफल प्रेप्सुर्लुब्धो हिंसात्मकोsशुचिः ।
हर्षशोकान्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः ॥
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(रागी कर्मफलप्रेप्सुः लुब्धः हिंसात्मकः अशुचिः ।
हर्षशोक-अन्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः ॥)
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हर्षशोकान्वितः - हर्ष एवं शोक से युक्त।
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भावार्थ :
ऐसे कर्म को जिसे करनेवाला कर्ता रागबुद्धि से युक्त होकर कर्म के विशिष्ट फल की अपेक्षा रखता है, जो हिंसा का प्रयोग करता है, हर्ष एवं शोक युक्त है, राजस कहा जाता है ।
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Chapter 18, shloka 27,
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rAgI karmaphalaprepsur-
lubdho hinsAtmako'shuchiH |
harSha-shokAnvitaH kartA
rAjasaH parikIrtitaH ||
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Meaning :
The one who prompted by desire, motivated by and expecting a certain result of the action, and prone to be overwhelmed by the emotions involving elation or depression from moment to moment, is said a 'rAjasa' kartA (doer).
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