Tuesday, February 11, 2014

आज का श्लोक, ’स्वेन’ / 'swena'

आज का श्लोक / ’स्वेन’ / 'swena'
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अध्याय 18, श्लोक 60,

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’स्वेन’ / 'swena' - ’स्व’ तृतीया एकवचन, अपने द्वारा ।

स्वभावजेन कौन्तेय निबद्धः स्वेन कर्मणा ।
कर्तुं नेच्छसि यन्मोहात्करिष्यस्यवशोऽपि तत् ॥
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(स्वभावजेन कौन्तेय निबद्धः स्वेन कर्मणा ।
कर्तुं न-इच्छसि यत् मोहात् करिष्यसि अवशः अपि तत् ॥)
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भावार्थ :
हे कौन्तेय तू अपने स्वयं के स्वाभाविक कर्मों (कर्मरूपी संस्कारों) में दॄढता से बँधा है, इसलिए अविवेक के कारण जिस कर्म को करने का तू भले ही अनिच्छुक हो, उसे ही बाध्य होकर अवश्य करेगा ।
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’स्वेन’ / 'swena' - done by oneself .
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Chapter 18, shloka 60.

swabhAvajena kaunteya
nibaddhaH swena karmaNA |
kartuM nechchhasi yanmohAt-
kariShyasyavasho'pi tat ||
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Meaning :
O Kaunteya (Arjuna)! Though unwilling to do because of your ignorance and delusion, you will perform the action according to your very nature because you are bound by the same.
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