Sunday, February 2, 2014

आज का श्लोक / 'हस्तिनि'/ 'hastini'

आज का श्लोक / 'हस्तिनि'/ 'hastini' 
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अध्याय 5, श्लोक 18,
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विद्याविनयसंपन्ने  ब्रह्मणे गवि हस्तिनि ।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः ॥
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'हस्तिनि'/ 'hastini'  = हाथियों में ।
भावार्थ :
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तत्ववेत्ता विद्याविनय से संपन्न ब्राह्मण में,  गौओं, हाथियों, श्वानों तथा श्वपचों (कुत्ते का मांस खानेवाले), सभी में समान रूप से विद्यमान उसी एकमेव चैतन्य परब्रह्म को देखते हैं ।
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 'हस्तिनि'/ 'hastini' 
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Meaning : Elephants. 
Chapter 5, shloka 18,
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vidyAvinayasaMpanne
brAhmaNe gavi hastini |
shuni chaiva shvapAke cha
paNditAH samadarshinaH ||
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A truly wise one who has known Reality /brahman' /'Self' sees the same in them all. In a learned well-behaved brAhmaNa, in a cow, elephant, dog and an outcast (who feeds on dogs).
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