Saturday, February 1, 2014

'हि' / 'hi'

'हि' / 'hi'
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'हि' अव्यय का प्रयोग 'ही' के अर्थ में किया जाता है।  अव्यय वे शब्द होते हैं, वाक्यों और संधि अथवा समास में प्रयुक्त होने पर भी  जिनका विन्यास और अर्थ / भाव नहीं बदलता।
इनके प्रयोग से जहाँ काव्य की सुन्दरता बढ़ती है, वहीँ रचना-विन्यास में भी निखार आता है।
गीता में ऐसे श्लोक जिनमें 'हि' का प्रयोग है,  निम्नलिखित स्थानों पर मिलेंगे।
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अध्याय 1, श्लोक 11, 37, 42,
अध्याय 2, श्लोक 5, 8, 15, 27, 31, 41, 49, 51, 60, 61, 65, 67,
अध्याय 3, श्लोक 5, 5, 8, 12, 19, 20, 23, 34,
अध्याय 4, श्लोक 3, 7, 12, 17, 38,
अध्याय 5, श्लोक 3, 19, 22,
अध्याय 6, श्लोक 2, 4, 5, 27, 34, 39, 40, 42, 44,
अध्याय 7, श्लोक 14, 17, 18, 22,
अध्याय 8, श्लोक 26,
अध्याय 9, श्लोक 24, 30, 32,
अध्याय 10 , श्लोक 2, 14, 16, 18,
अध्याय 11, श्लोक 2, 20, 21, 24, 31,
अध्याय 12, श्लोक 5, 12,
अध्याय 13, श्लोक 21, 28,
अध्याय 14, श्लोक 27,
अध्याय 18, श्लोक 4, 11, 48,
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 'हि' / 'hi'.
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The word  'हि' / 'hi' in Sanskrit is an indeclinable word which does not change in form when used in sentences and verse. This word is used to show emphasis. In gitA, this word is found in the following verses (shlokas) :
Chapter 1, shloka / verse - 11, 37, 42,
Chapter 2, shloka / verse 5, 8, 15, 27, 31, 41, 49, 51, 60, 61, 65, 67,
Chapter 3, shloka / verse 5, 5, 8, 12, 19, 20, 23, 34,
Chapter 4, shloka / verse 3, 7, 12, 17, 38,
Chapter 5, shloka / verse 3, 19, 22,
Chapter 6, shloka / verse 2, 4, 5, 27, 34, 39, 40, 42, 44,
Chapter 7, shloka / verse 14, 17, 18, 22,
Chapter 8, shloka / verse 26,
Chapter 9,  shloka / verse 24, 30, 32,
Chapter 10, shloka / verse 2, 14, 16, 18,
Chapter 11, shloka / verse 2, 20, 21, 24, 31,
Chapter 12, shloka / verse 5, 12,
Chapter 13 , shloka / verse 21, 28,
Chapter 14 , shloka / verse 27,
Chapter 18, shloka / verse 4, 11, 48,
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