Wednesday, February 19, 2014

आज का श्लोक, 'स्वर्गपराः' / 'swargaparAH'

आज का श्लोक, 'स्वर्गपराः' /  'swargaparAH'
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अध्याय 2, श्लोक 43,

कामात्मानः स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम् ।
क्रियाविशेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति ॥
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(काम-आत्मानः स्वर्गपराः जन्मकर्मफलप्रदाम् ।
क्रियाविशेषबहुलाम्  भोगैश्वर्यगतिं प्रति ॥)
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'स्वर्गपराः' /  'swargaparAH' - वे लोग जो स्वर्ग के सुखों की लालसा रखते हैं ।
भावार्थ :
जिनकी बुद्धि स्वर्गीय समझे जानेवाले कामोपभोग के सुखों की लालसा से मोहित है, जो जन्म-पुनर्जन्मों में अपने कर्मों के फलों की प्राप्ति होने के प्रति आश्वस्त हैं, और जो इस हेतु अनेक प्रकार के अनुष्ठानों में लगे रहते हैं ताकि उन ऐश्वर्य तथा उनके सुखों की और गति हो ।
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'स्वर्गपराः' /  'swargaparAH'
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Chapter 2, shloka 43,
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kAmAtmAnaH swargaparAH
janmakarmaphalapradAM |
kriyAvisheShabahulAM
bhogaishvaryagatiM prati ||
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'स्वर्गपराः' /  'swargaparAH' -
Those who are after the pleasures and are so blinded that they believe to have them in heaven (after their death, because of the various rituals they have performed while they were alive).
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Meaning : Those obsessed with the worldly pleasures, and hope to have them in heaven in future also after their death, those who are engaged in performing various rituals to ascertain the same.
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