Thursday, February 27, 2014

आज का श्लोक, ’स्रोतसाम्’ / 'srotasAM'

आज का श्लोक ’स्रोतसाम्’ / 'srotasAM'
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’स्रोतसाम्’ / 'srotasAM' 
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अध्याय 10, श्लोक 31,

पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम् ।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी ॥
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(पवनः पवताम् अस्मि रामः शस्त्रभृताम् अहम् ।
झषाणाम् मकरः च अस्मि स्रोतसाम् अस्मि जाह्नवी ॥)
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पवित्र करनेवालों में पवन (वायु) हूँ, शस्त्रधारियों में श्रीराम हूँ, मत्स्यों में मकर हूँ, तथा नदियों में मैं जाह्नवी अर्थात् श्रीभागीरथी गङ्गा हूँ ।
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’स्रोतसाम्’ / 'srotasAM
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Chapter 10, shloka 31,
pawanaH pawatAmasmi
rAmaH shastrabhRtAmahaM |
jhaShANAM makarashchAsmi
srotasAm-asmi jAhnavI ||
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I am the wind among all those who purify, and shrI rAma among those who wield weapons,
among sea-monsters I am the alligator, and of rivers, I am the Ganges.
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