आज का श्लोक / ’हरिः’/ 'hariH'
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अध्याय 11, श्लोक 9,
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हरिः - श्रीकृष्ण (ने)
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एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः ।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम् ॥
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(एवं उक्त्वा ततः राजन् महायोगेश्वरः हरिः ।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपं-ऐश्वरम् ॥)
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ऐसा कहते हुए, तब हे राजन् ! महायोगेश्वर श्रीहरि अर्थात् भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन के समक्ष अपने परम ईश्वरीय रूप को प्रकट किया ।
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’हरिः’/ 'hariH'
Chapter 11, shloka 9,
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evamuktvA tato rAjan-
mahAyogaishvaro hariH |
darshayAmAsa pArthAya
paramaM rUpamaishvaraM ||
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’हरिः’/ 'hariH' - ShriKrishna (nominative case)
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Meaning :
O King!) saying these words, to Arjuna, SriKrishna, the Great Lord of Yoga-vidyA, revealed His Majestic Divine Form to him.
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अध्याय 11, श्लोक 9,
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हरिः - श्रीकृष्ण (ने)
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एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः ।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम् ॥
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(एवं उक्त्वा ततः राजन् महायोगेश्वरः हरिः ।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपं-ऐश्वरम् ॥)
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ऐसा कहते हुए, तब हे राजन् ! महायोगेश्वर श्रीहरि अर्थात् भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन के समक्ष अपने परम ईश्वरीय रूप को प्रकट किया ।
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’हरिः’/ 'hariH'
Chapter 11, shloka 9,
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evamuktvA tato rAjan-
mahAyogaishvaro hariH |
darshayAmAsa pArthAya
paramaM rUpamaishvaraM ||
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’हरिः’/ 'hariH' - ShriKrishna (nominative case)
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Meaning :
O King!) saying these words, to Arjuna, SriKrishna, the Great Lord of Yoga-vidyA, revealed His Majestic Divine Form to him.
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