Monday, February 10, 2014

आज का श्लोक, ’हतः’/'hataH'

आज का श्लोक / ’हतः’/'hataH'
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’हतः’ - ’हन्’ धातु, ’क्त’-प्रत्यय, - जिसको मारा जा चुका, वह ।
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अध्याय 2, श्लोक 37,
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हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् ।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय  कृतनिश्चय ॥
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(हतः वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् ।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय ॥)
-- भावार्थ :
मार डाले जाने पर तू स्वर्ग प्राप्त करेगा, और यदि विजयी हुआ तो राज्य-सुख का उपभोग करेगा । इसलिए हे कौन्तेय (अर्जुन)! युद्ध के लिए कृतनिश्चय होकर उठ खड़े होओ ।
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अध्याय 16, श्लोक 14,
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असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि ।
ईश्वरोsहमहं  भोगी सिद्धोsहं  बलवान्सुखी ॥
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(असौ मया हतः शत्रुः हनिष्ये च अपरानपि ।
ईश्वरः अहं अहं भोगी सिद्धः अहं बलवान् सुखी ॥)
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भावार्थ :
वह शत्रु मेरे द्वारा मारा जा चुका, दूसरों को भी मार डालूँगा । मैं ही सर्वशक्तिमान हूँ, मैं ही सब सुखों का भोगकर्ता हूँ । मैं ही यशस्वी, बलवान और सुखी हूँ ।
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’हतः’/'hataH' = ('हतो'/'hato') > One, who has been killed.
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Chapter 2, shloka 37,
hato vA prApsyasi swargaM
jitvA vA bhokShyase mahIM |
tasmAduttiShTha kaunteya
yuddhAya kRtanishchaya ||
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Meaning :
Kaunteya (Arjuna)! Engaged in war if you are killed on the battle-ground, you will attain heaven. And, on the other hand, if you win, you will be the ruler of the land. Therefore, get up, fight with determination.
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Chapter 16, shloka 14,
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asau mayA hataH shatrur-
haniShye chAparAnapi |
Ishvaro'hamahaM bhogI
siddho'haM balavAnsukhI ||
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Meaning :
That one enemy has been killed by me, I shall sure kill the others too. I am the lord, I alone enjoy all the riches, I am successful, powerful and happy.
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