आज का श्लोक, ’संनियम्य’ / ’samniyamya’
___________________________________
’संनियम्य’ / ’samniyamya’ - भलीभाँति नियंत्रण में रखते हुए,
अध्याय 12, श्लोक 4,
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहितेरताः ॥
(संनियम्य इन्द्रियग्रामम् सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति माम् एव सर्वभूतहिते रताः ॥)
--
भावार्थ :
अपनी समस्त इन्द्रियों को भली प्रकार से नियन्त्रण में रखते हुए, जो समबुद्धि रखनेवाले सब भूतों के हित में रत होते हैं वे मुझको प्राप्त हो जाते हैं ।
--
’संनियम्य’ / ’samniyamya’ - having kept the senses / passions well under control,
Chapter 12, śloka 4,
sanniyamyendriyagrāmaṃ
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti māmeva
sarvabhūtahiteratāḥ ||
--
(saṃniyamya indriyagrāmam
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti mām eva
sarvabhūtahite ratāḥ ||)
--
Meaning :
Those who keeping the senses well under control, always with even-mind devoted for the welfare of all beings, they also attain Me.
--
___________________________________
’संनियम्य’ / ’samniyamya’ - भलीभाँति नियंत्रण में रखते हुए,
अध्याय 12, श्लोक 4,
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहितेरताः ॥
(संनियम्य इन्द्रियग्रामम् सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति माम् एव सर्वभूतहिते रताः ॥)
--
भावार्थ :
अपनी समस्त इन्द्रियों को भली प्रकार से नियन्त्रण में रखते हुए, जो समबुद्धि रखनेवाले सब भूतों के हित में रत होते हैं वे मुझको प्राप्त हो जाते हैं ।
--
’संनियम्य’ / ’samniyamya’ - having kept the senses / passions well under control,
Chapter 12, śloka 4,
sanniyamyendriyagrāmaṃ
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti māmeva
sarvabhūtahiteratāḥ ||
--
(saṃniyamya indriyagrāmam
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti mām eva
sarvabhūtahite ratāḥ ||)
--
Meaning :
Those who keeping the senses well under control, always with even-mind devoted for the welfare of all beings, they also attain Me.
--
No comments:
Post a Comment