आज का श्लोक,
’सर्वाश्चर्यमयम्’ / ’sarvāścaryamayam’
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’सर्वाश्चर्यमयम्’ / ’sarvāścaryamayam’ - सम्पूर्ण आश्चर्यों युक्त,
अध्याय 11, श्लोक 11,
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम् ।
सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतोमुखम् ॥
--
(दिव्यमाल्याम्बरधरम् दिव्यगन्धानुलेपम् ।
सर्वाश्चर्यमयम् देवमनन्तम् विश्वतोमुखम् ॥)
--
भावार्थ :
दिव्य माला एवं वस्त्र धारण किए हुए, दिव्य गन्ध का लेप शरीर पर किए हुए, सब प्रकार से आश्चर्य से युक्त, अनन्त तथा सब ओर मुख है (सर्वत्र समक्ष) जिनका ऐसे विराट्-स्वरूपवाले, परमेश्वर को (अर्जुन ने देखा) ।
--
’सर्वाश्चर्यमयम्’ / ’sarvāścaryamayam’ - causing great amazement,
Chapter 11, śloka 11,
divyamālyāmbaradharaṃ
divyagandhānulepanam |
sarvāścaryamayaṃ devam-
anantaṃ viśvatomukham ||
--
(divyamālyāmbaradharam
divyagandhānulepam |
sarvāścaryamayam devam-
anantam viśvatomukham ||)
--
Meaning :
Wearing celestial garland and clothed in celestial apparel, anointed with divine perfumes and ointments, made up of all wonders, and having faces in all directions. (Thus Arjuna saw Lord śrīkṛṣṇa)
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’सर्वाश्चर्यमयम्’ / ’sarvāścaryamayam’
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’सर्वाश्चर्यमयम्’ / ’sarvāścaryamayam’ - सम्पूर्ण आश्चर्यों युक्त,
अध्याय 11, श्लोक 11,
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम् ।
सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतोमुखम् ॥
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(दिव्यमाल्याम्बरधरम् दिव्यगन्धानुलेपम् ।
सर्वाश्चर्यमयम् देवमनन्तम् विश्वतोमुखम् ॥)
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भावार्थ :
दिव्य माला एवं वस्त्र धारण किए हुए, दिव्य गन्ध का लेप शरीर पर किए हुए, सब प्रकार से आश्चर्य से युक्त, अनन्त तथा सब ओर मुख है (सर्वत्र समक्ष) जिनका ऐसे विराट्-स्वरूपवाले, परमेश्वर को (अर्जुन ने देखा) ।
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’सर्वाश्चर्यमयम्’ / ’sarvāścaryamayam’ - causing great amazement,
Chapter 11, śloka 11,
divyamālyāmbaradharaṃ
divyagandhānulepanam |
sarvāścaryamayaṃ devam-
anantaṃ viśvatomukham ||
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(divyamālyāmbaradharam
divyagandhānulepam |
sarvāścaryamayam devam-
anantam viśvatomukham ||)
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Meaning :
Wearing celestial garland and clothed in celestial apparel, anointed with divine perfumes and ointments, made up of all wonders, and having faces in all directions. (Thus Arjuna saw Lord śrīkṛṣṇa)
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