आज का श्लोक, ’स्म’ / 'sma'
_____________________
’स्म’ / 'sma' - निश्चय एवं अतीत-द्योतक अव्यय,
अध्याय 2 , श्लोक 3,
--
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदय-दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप ॥
--
(क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ न एतत् त्वयि उपपद्यते।
क्षुद्रं हृदय-दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप ॥)
भावार्थ :
हे पार्थ (अर्जुन)! ऐसी भीरुता तुझे शोभा नहीं देती। हृदय की इस क्षुद्र दुर्बलता को त्यागो और हे परंतप, उठ खड़े होओ !
--
’स्म’ / 'sma' - indeed, verily, expletive.
--
Meaning :
O Arjun! O Man of Great penances, tormentor of enemies! Get rid of this weakness of heart, and stand up with firm determination.
--
_____________________
’स्म’ / 'sma' - निश्चय एवं अतीत-द्योतक अव्यय,
अध्याय 2 , श्लोक 3,
--
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदय-दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप ॥
--
(क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ न एतत् त्वयि उपपद्यते।
क्षुद्रं हृदय-दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप ॥)
भावार्थ :
हे पार्थ (अर्जुन)! ऐसी भीरुता तुझे शोभा नहीं देती। हृदय की इस क्षुद्र दुर्बलता को त्यागो और हे परंतप, उठ खड़े होओ !
--
’स्म’ / 'sma' - indeed, verily, expletive.
--
Meaning :
O Arjun! O Man of Great penances, tormentor of enemies! Get rid of this weakness of heart, and stand up with firm determination.
--
No comments:
Post a Comment