Wednesday, March 12, 2014

आज का श्लोक, ’स्थापयित्वा’ / 'sthApayitvA'

आज का श्लोक,  ’स्थापयित्वा’ / 'sthApayitvA'
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’स्थापयित्वा’ / 'sthApayitvA'

अध्याय 1, श्लोक 24,
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सञ्जय उवाच -
एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् ॥
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(एवम्-उक्तः हृषीकेशः गुडाकेशेन भारत ।
सेनयोः उभयोः मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् ॥)
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भावार्थ :
सञ्जय ने कहा  - हे भारत (हे धृतराष्ट्र)! गुडाकेश (अर्जुन) द्वारा इस प्रकार से (गत श्लोक में जैसा वर्णित है, उस क्रम में ) कहे जाने पर, हृषीकेश (श्रीकृष्ण भगवान्) ने  दोनों सेनाओं के मध्य रथ खड़ा कर यह कहा , ...
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’स्थापयित्वा’ / 'sthApayitvA' - having placed.
 
Chapter 1, shloka 24,
sanjaya said :
evamukto hRShIkesho
guDAkeshena bhArata |
senayorubhayormadhye
sthApayitvA rathottamaM ||
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sanjaya, said (to dhRtarAshTra,)

O bhArata (King dhRtaraShTra)! being thus addressed by guDAkesha (arjuna), hRShikesha (Lord shrIkRShNa) brought forth the magnificent chariot in the middle of both armies.
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