Sunday, March 23, 2014

आज का श्लोक, ’सृष्टम्’ / 'sRShTaM'

आज का श्लोक, ’सृष्टम्’ / 'sRShTaM'
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’सृष्टम्’ / 'sRShTaM' - रचित, रचा गया, रचा हुआ,

अध्याय 4, श्लोक 13,
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चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विध्यकर्तारमव्ययम् ॥
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(चातुर्वर्ण्यम् मया सृष्टम् गुणकर्मविभागशः ।
तस्य कर्तारं अपि माम् विद्धि अकर्तारम्-अव्ययम् ॥)
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भावार्थ :
भावार्थ :
गुण तथा कर्म के विभाजन के अनुसार चार प्रकार की मूल प्रवृत्तियों का समूह (वर्ण्य), जिनसे समस्त भूत अनायास परिचालित होते हैं, मेरे ही द्वारा रचा गया है । उस समूह का रचनाकार (स्वरूपतः) अकर्ता तथा अव्यय मुझको ही जानो ।
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Chapter 4, shloka 13,

’सृष्टम्’ / 'sRShTaM' - created. / creation ,

chAturvarNyaM mayA sRShTaM
guNakarmavibhAgashaH |
tasya kartAraM api mAM
viddhyakartAramavyayaM ||
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Meaning :
According to the innate nature and tendencies for action of man, I have created the four-fold order in this world. Even though I AM the Imperishable, and the Creator of them, know for certain I AM as such ever, the non-doer.    
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