आज का श्लोक, ’स्मरति’ / 'smarati'
__________________________
’स्मरति’ / 'smarati' - स्मरण करता है ।
--
अध्याय 8,श्लोक 14,
--
अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः ।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः ॥
--
(अनन्यचेताः सततं यः माम् स्मरति नित्यशः ।
तस्य अहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः ॥)
--
भावार्थ :
--
हे अर्जुन! जो मनुष्य मुझमें अनन्यचित्त होकर सदा ही और निरन्तर मुझको स्मरण करता है, उस नित्य-निरन्तर मुझसे संलग्न हुए योगी के लिए, मैं सदा और अनायास ही प्राप्तव्य हूँ ।
--
’स्मरति’ / 'smarati' - remembers.
--
Chapter 8, shloka 14,
ananyachetAH satataM yo
mAM smarati nityashaH |
tasyAhaM sulabhaH pArtha
nityayuktasya yoginaH ||
--
Meaning :
O partha (arjuna) ! I am easily available to one, who-so-ever always remembers Me without deviation, because of his constant association (bhakti-yuktaH) with Me.
--
__________________________
’स्मरति’ / 'smarati' - स्मरण करता है ।
--
अध्याय 8,श्लोक 14,
--
अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः ।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः ॥
--
(अनन्यचेताः सततं यः माम् स्मरति नित्यशः ।
तस्य अहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः ॥)
--
भावार्थ :
--
हे अर्जुन! जो मनुष्य मुझमें अनन्यचित्त होकर सदा ही और निरन्तर मुझको स्मरण करता है, उस नित्य-निरन्तर मुझसे संलग्न हुए योगी के लिए, मैं सदा और अनायास ही प्राप्तव्य हूँ ।
--
’स्मरति’ / 'smarati' - remembers.
--
Chapter 8, shloka 14,
ananyachetAH satataM yo
mAM smarati nityashaH |
tasyAhaM sulabhaH pArtha
nityayuktasya yoginaH ||
--
Meaning :
O partha (arjuna) ! I am easily available to one, who-so-ever always remembers Me without deviation, because of his constant association (bhakti-yuktaH) with Me.
--
No comments:
Post a Comment