Friday, March 7, 2014

आज का श्लोक, ’स्थितान्’ / 'sthitAn'

आज का श्लोक, ’स्थितान्’ / 'sthitAn'
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अध्याय 1, श्लोक 26,
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’स्थितान्’ / 'sthitAn' - वहाँ पर उपस्थित,
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तत्रापश्यत्स्थितान्पार्थः पितॄनथ पितामहान् ।
आचार्यान्मातुलान्भ्रातॄन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा ॥
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(तत्र-अपश्यत्-स्थितान्-पार्थः पितॄन्-अथ पितामहान् ।
आचार्यान्-मातुलान्-भ्रातॄन्-पुत्रान्-पौत्रान्-सखीन्-तथा ॥)
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वहाँ पर तब पार्थ (अर्जुन) ने उपस्थित पितृ-वर्ग (ताऊ-चाचा आदि) को, पितामहों तथा प्रपिताओं को, आचार्यों तथा मामाओं एवं भाइयों, पुत्रों, तथा सखाओं आदि को देखा ।
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’स्थितान्’ / 'sthitAn' - those present there.
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Chapter 1, shloka 26,
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tatrApashyat-sthitAn-pArthaH
pitR--natha pitAmahAn |
AchAryAn-mAtulAn-bhrAtR--n
putrA-pautrAn-sakhIM-stathA |
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Meaning :
There (on the battle-ground), arjuna saw fathers, grand-fathers, teachers, maternal uncles, brothers, sons, grandsons and friends.
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