आज का श्लोक
’यतेन्द्रियमनोबुद्धिः’
'yatendriyamanobuddhiH'
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अध्याय श्लोक 5 श्लोक 28,
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’यतेन्द्रियमनोबुद्धिः’ / 'yatendriyamanobuddhiH' -इन्द्रियों, मन और बुद्धि से एक साथ साधते हुए अभ्यासकरनेवाला ( मुमुक्षु / मुनि)
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यतेन्द्रियमनोबुद्धिर्मुनिर्मोक्षपरायणः ।
विगतेच्छाभयक्रोधो यः सदा मुक्त एव सः ॥
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(यतेन्द्रियमनोबुद्धिः मुनिः मोक्षपरायणः ।
विगतेच्छाभयक्रोधः यः सदा मुक्तः एव सः॥)
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भावार्थ :
जो मुमुक्षु मुनि इन्द्रियों मन (अवधान) तथा बुद्धि (अर्थात् मन की प्रवृत्ति) को यत्नपूर्वक साधते हुए, इच्छा, भय तथा क्रोध से जो उनसे मुक्त रहता है, वह सदा ही मुक्त होता है ।
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’यतेन्द्रियमनोबुद्धिः’/ 'yatendriyamanobuddhiH' - One who practices keeping the senses, mind and intellect together in order.
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Chapter 5, shloka 28,
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yatendriyamanobuddhir-
munirmokShaparAyaNaH |
vigatechchhAbhayakrodho
yaH sadA mukta eva saH ||
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Meaning :
The seeker after liberation, who practices yoga by keeping the senses, mind and intellect together in order, one who is free from desire, fear and anger is already liberated in life, and for ever.
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’यतेन्द्रियमनोबुद्धिः’
'yatendriyamanobuddhiH'
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अध्याय श्लोक 5 श्लोक 28,
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’यतेन्द्रियमनोबुद्धिः’ / 'yatendriyamanobuddhiH' -इन्द्रियों, मन और बुद्धि से एक साथ साधते हुए अभ्यासकरनेवाला ( मुमुक्षु / मुनि)
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यतेन्द्रियमनोबुद्धिर्मुनिर्मोक्षपरायणः ।
विगतेच्छाभयक्रोधो यः सदा मुक्त एव सः ॥
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(यतेन्द्रियमनोबुद्धिः मुनिः मोक्षपरायणः ।
विगतेच्छाभयक्रोधः यः सदा मुक्तः एव सः॥)
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भावार्थ :
जो मुमुक्षु मुनि इन्द्रियों मन (अवधान) तथा बुद्धि (अर्थात् मन की प्रवृत्ति) को यत्नपूर्वक साधते हुए, इच्छा, भय तथा क्रोध से जो उनसे मुक्त रहता है, वह सदा ही मुक्त होता है ।
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’यतेन्द्रियमनोबुद्धिः’/ 'yatendriyamanobuddhiH' - One who practices keeping the senses, mind and intellect together in order.
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Chapter 5, shloka 28,
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yatendriyamanobuddhir-
munirmokShaparAyaNaH |
vigatechchhAbhayakrodho
yaH sadA mukta eva saH ||
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Meaning :
The seeker after liberation, who practices yoga by keeping the senses, mind and intellect together in order, one who is free from desire, fear and anger is already liberated in life, and for ever.
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