Thursday, July 31, 2014

आज का श्लोक, ’शस्त्रसंपाते’ / ’śastrasaṃpāte’

आज का श्लोक,
’शस्त्रसंपाते’ / ’śastrasaṃpāte’
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’शस्त्रसंपाते’ / ’śastrasaṃpāte’ - शस्त्र से आक्रमण करने के लिए,

अध्याय 1, श्लोक 20,

अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान्कपिध्वजः ।
प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः ॥
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(अथ व्यवस्थितान् दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वजः ।
प्रवृत्ते शस्त्रम्पाते धनुः उद्यम्य पाण्डवः ॥)
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भावार्थ :
इसके पश्चात्, कपिध्वज पाण्डव (अर्जुन) ने यह देखकर कि धृतराष्ट्र के पक्ष (के योद्धाओं) को शस्त्र से आक्रमण करने के लिए उद्यत हैं, अपना धनुष उठाकर  ...
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टिप्पणी :
श्रीमद्भगवद्गीता में ऐसे कुछ शब्द दृष्टव्य हैं जिनसे संकेत मिलता है कि महाभारत का युद्ध ’मिसाइल-युद्ध’ जैसा था । सुसज्जित रथ (और महारथी) जहाँ ’टैंक’ (tank) की तरह हैं, वहीं शस्त्रों को ’गिराया जाना’ जैसा कि ’शस्त्रसम्पाते’ में बिलकुल स्पष्ट है, ’मिसाइल’ (missile) गिराए जाने जैसा लगता है । ’अस्त्र-शीर्ष’ शब्द तो ’वॉर-हेड’ / nuclear war-heads का ही सीधा अनुवाद प्रतीत होता है, जबकि यह शब्द ’अस्त्र-शीर्ष’ तो ’वॉर-हेड’ से 5000 या अधिक वर्ष पुराना है । अस्त्रों के प्रकार ’गाइडेड-मिसाइल’ जैसे ’लक्ष्यभेदी’ जान पड़ते हैं, तो ’नाग’ या ’वैनतेय’ (गरुड) जैव-युद्ध / बॉयोलॉजिकल वॉर (bio-logical war) के ही साधन हो सकते हैं ।
क्या यह सब कोरी कवि-कल्पना है?
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’शस्त्रसंपाते’ / ’śastrasaṃpāte’ - at the time of attacking with the weapons,

Chapter 1, śloka 20,

atha vyavasthitāndṛṣṭvā
dhārtarāṣṭrānkapidhvajaḥ |
pravṛtte śastrasampāte 
dhanurudyamya pāṇḍavaḥ ||
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(atha vyavasthitān dṛṣṭvā
dhārtarāṣṭrān kapidhvajaḥ |
pravṛtte śastrampāte 
dhanuḥ udyamya pāṇḍavaḥ ||)
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Meaning :
kapidhvaja pāṇḍava (arjuna),  having seen the army of dhārtarāṣṭrā / duryodhana and others, well-equipped and ready to attack with their weapons, raised his bow and,.....  
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