आज का श्लोक,
’शास्त्रविधानोक्तम्’ / ’śāstravidhānoktam’
___________________________________
’शास्त्रविधानोक्तम्’ / ’śāstravidhānoktam’ - शास्त्र में जैसा विधान बतलाया गया,
अध्याय 16, श्लोक 24,
तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमर्हसि ॥
--
(तस्मात् शास्त्रम् प्रमाणम् ते कार्याकार्य-व्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तम् कर्म कर्तुम् अर्हसि ॥)
--
भावार्थ :
अतः शास्त्र को प्रमाण करते हुए, तुम्हारे लिए क्या किया जाना कर्तव्य (उचित) है और क्या अकर्तव्य (अनुचित) है, यह जानना होगा । शास्त्र में निर्दिष्ट विधान को जानकर ही तुम तदनुसार जो शास्त्रविहित है, उसका व्यवहार कर सकोगे ।
--
’शास्त्रविधानोक्तम्’ / ’śāstravidhānoktam’ - the right way of performing duties as are taught in the scriptures,
Chapter 16, śloka 24,
tasmācchāstraṃ pramāṇaṃ te
kāryākāryavyavasthitau |
jñātvā śāstravidhānoktaṃ
karma kartumarhasi ||
--
(tasmāt śāstram pramāṇaṃ te
kāryākārya-vyavasthitau |
jñātvā śāstravidhānoktam
karma kartum arhasi ||)
--
Meaning :
Therefore according to the criteria and instructions laid down in the texts (śāstravidhānoktaṃ) you should decide what is your duty and what has been forbidden there-in. Knowing this well, will enable you to decide your right duty.
--
’शास्त्रविधानोक्तम्’ / ’śāstravidhānoktam’
___________________________________
’शास्त्रविधानोक्तम्’ / ’śāstravidhānoktam’ - शास्त्र में जैसा विधान बतलाया गया,
अध्याय 16, श्लोक 24,
तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमर्हसि ॥
--
(तस्मात् शास्त्रम् प्रमाणम् ते कार्याकार्य-व्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तम् कर्म कर्तुम् अर्हसि ॥)
--
भावार्थ :
अतः शास्त्र को प्रमाण करते हुए, तुम्हारे लिए क्या किया जाना कर्तव्य (उचित) है और क्या अकर्तव्य (अनुचित) है, यह जानना होगा । शास्त्र में निर्दिष्ट विधान को जानकर ही तुम तदनुसार जो शास्त्रविहित है, उसका व्यवहार कर सकोगे ।
--
’शास्त्रविधानोक्तम्’ / ’śāstravidhānoktam’ - the right way of performing duties as are taught in the scriptures,
Chapter 16, śloka 24,
tasmācchāstraṃ pramāṇaṃ te
kāryākāryavyavasthitau |
jñātvā śāstravidhānoktaṃ
karma kartumarhasi ||
--
(tasmāt śāstram pramāṇaṃ te
kāryākārya-vyavasthitau |
jñātvā śāstravidhānoktam
karma kartum arhasi ||)
--
Meaning :
Therefore according to the criteria and instructions laid down in the texts (śāstravidhānoktaṃ) you should decide what is your duty and what has been forbidden there-in. Knowing this well, will enable you to decide your right duty.
--
No comments:
Post a Comment