आज का श्लोक, ’शुचौ’ / ’śucau’
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’शुचौ’ / ’śucau’- स्वच्छ (स्थान) में, पर,
अध्याय 6, श्लोक 11,
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शुचौ देशे प्रतिष्ठाय स्थिरमासनमात्मनः ।
नात्युछ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम् ॥
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(शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरम्-आसनम्-आत्मनः ।
न-अत्युच्छ्रितम् न-अतिनीचम् चैल-अजिन-कुशोत्तरम् ॥)
--
भावार्थ :
(ध्यान-योग के अभ्यास हेतु) स्वच्छ स्थान पर स्थिरता से बैठने का अपना आसन, कपड़े पर मृग-छाले, और उस पर कुश बिछाकर ऐसा बनाये, जो न तो बहुत ऊँचा हो, न अति नीचा हो, अर्थात् जिस पर सुखपूर्वक बैठा जा सके ।
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’शुचौ’ / ’śucau’ - in a clean, serene (place),
Chapter 6, śloka 11,
śucau deśe pratiṣṭhāya
sthiramāsanamātmanaḥ |
nātyuchritaṃ nātinīcaṃ
cailājinakuśottaram ||
--
(śucau deśe pratiṣṭhāpya
sthiram-āsanam-ātmanaḥ |
na-atyucchritam na-atinīcam
caila-ajina-kuśottaram ||)
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Meaning :
(For practicing dhyāna-yoga, -meditation), one should select a clean, serene place and by means of putting cloth and deer-skin upon kusha-grass, prepare a comfortable and stable seat for sitting.
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’शुचौ’ / ’śucau’- स्वच्छ (स्थान) में, पर,
अध्याय 6, श्लोक 11,
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शुचौ देशे प्रतिष्ठाय स्थिरमासनमात्मनः ।
नात्युछ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम् ॥
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(शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरम्-आसनम्-आत्मनः ।
न-अत्युच्छ्रितम् न-अतिनीचम् चैल-अजिन-कुशोत्तरम् ॥)
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भावार्थ :
(ध्यान-योग के अभ्यास हेतु) स्वच्छ स्थान पर स्थिरता से बैठने का अपना आसन, कपड़े पर मृग-छाले, और उस पर कुश बिछाकर ऐसा बनाये, जो न तो बहुत ऊँचा हो, न अति नीचा हो, अर्थात् जिस पर सुखपूर्वक बैठा जा सके ।
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’शुचौ’ / ’śucau’ - in a clean, serene (place),
Chapter 6, śloka 11,
śucau deśe pratiṣṭhāya
sthiramāsanamātmanaḥ |
nātyuchritaṃ nātinīcaṃ
cailājinakuśottaram ||
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(śucau deśe pratiṣṭhāpya
sthiram-āsanam-ātmanaḥ |
na-atyucchritam na-atinīcam
caila-ajina-kuśottaram ||)
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Meaning :
(For practicing dhyāna-yoga, -meditation), one should select a clean, serene place and by means of putting cloth and deer-skin upon kusha-grass, prepare a comfortable and stable seat for sitting.
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