Sunday, July 6, 2014

आज का श्लोक, ’समाचर’ / ’samācara’

आज का श्लोक,
’समाचर’ / ’samācara’
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’समाचर’ / ’samācara’ - का आचरण करो, का व्यवहार करो,

अध्याय 3, श्लोक 9,

यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः ।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्गः समाचर
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(यज्ञार्थात् कर्मणः अन्यत्र लोकः अयम् कर्मबन्धनः ।
तदर्थम् कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्गः समाचर ॥)
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भावार्थ : संसार में, यज्ञरूपी कर्म से अन्य कोई भी कर्म अवश्य ही मनुष्य को कर्मबन्धन से बाँधता है । इसलिए हे कौन्तेय ( हे कुन्तीपुत्र अर्जुन)! कर्म से आसक्ति न रखते हुए उसी प्रयोजन से (यज्ञ के अर्थ में) किसी भी कर्म में संलग्न रहकर उसे करो ।
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अध्याय 3, श्लोक 19,

तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर
असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरूषः ॥
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(तस्मात् असक्तः सततम् कार्यम् कर्म समाचर
असक्तः हि आचरन् कर्म परम् आप्नोति पूरुषः ॥)
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भावार्थ :
इसलिए कर्म से (और उसके फल से) आसक्ति न रखते हुए, सतत कर्म अर्थात् अपने को प्राप्त हुआ कार्य पूर्ण करो । आसक्तिरहित होकर किए जानेवाले कार्य से ही मनुष्य परमात्मा को प्राप्त कर लेता है ।
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’समाचर’ / ’samācara’- engage in the action, accept the duty, follow,

Chapter 3, śloka 9,

yajñārthātkarmaṇo:'nyatra
loko:'yaṃ karmabandhanaḥ |
tadarthaṃ karma kaunteya
muktasaṅgaḥ samācara ||
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(yajñārthāt karmaṇaḥ anyatra
lokaḥ ayam karmabandhanaḥ |
tadartham karma kaunteya
muktasaṅgaḥ samācara ||)
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Meaning : O kaunteya (kuntīputra / son of kuntī)! All action (karma) in the world, that is contrary to sacrifice (yajña), leads to bondage only. Therefore engage in the action without attachment to the same, and without hoping a favorable result of the same, but only with a view for the benefit of the whole existence.

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Chapter 3, śloka 19,

tasmādasaktaḥ satataṃ
kāryaṃ karma samācara |
asakto hyācarankarma
paramāpnoti pūrūṣaḥ ||
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(tasmāt asaktaḥ satatam
kāryam karma samācara |
asaktaḥ hi ācaran karma
param āpnoti pūruṣaḥ ||)
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Meaning :
Therefore perform your allotted work, the duty given to you, with due attention and without attachment to the action ( and the result). With such attitude, doing one's work / duty without attachment leads one to the Supreme.
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