आज का श्लोक,
’समिद्धः’ / ’samiddhaḥ’
______________________
’समिद्धः’ / ’samiddhaḥ’- प्रज्वलित, जलती हुई,
अध्याय 4, श्लोक 37,
यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन ।
ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा ॥
--
(यथा एधांसि समिद्धः अग्निः भस्मसात् कुरुते अर्जुन ।
ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात् कुरुते तथा ॥)
--
भावार्थ :
जिस प्रकार से प्रज्वलित हुई अग्नि ज्वलनशील पदार्थों को जलाकर भस्म कर देती है, हे अर्जुन !प्रज्वलित हुई ज्ञान रूपी अग्नि उसी प्रकार से समस्त कर्मों को जलाकर भस्म कर देती है ।
--
’समिद्धः’ / ’samiddhaḥ’- burning, blazing,
Chapter 4, śloka 37,
yathaidhāṃsi samiddho:'gnir-
bhasmasātkurute:'rjuna |
jñānāgniḥ sarvakarmāṇi
bhasmasātkurute tathā ||
--
(yathā edhāṃsi samiddhaḥ agniḥ
bhasmasāt kurute arjuna |
jñānāgniḥ sarvakarmāṇi
bhasmasāt kurute tathā ||)
--
Meaning :
arjuna! Like the blazing fire burns down the fuels to ashes, The fire of wisdom burns down the bundle of all action to ashes.
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’समिद्धः’ / ’samiddhaḥ’
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’समिद्धः’ / ’samiddhaḥ’- प्रज्वलित, जलती हुई,
अध्याय 4, श्लोक 37,
यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन ।
ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा ॥
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(यथा एधांसि समिद्धः अग्निः भस्मसात् कुरुते अर्जुन ।
ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात् कुरुते तथा ॥)
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भावार्थ :
जिस प्रकार से प्रज्वलित हुई अग्नि ज्वलनशील पदार्थों को जलाकर भस्म कर देती है, हे अर्जुन !प्रज्वलित हुई ज्ञान रूपी अग्नि उसी प्रकार से समस्त कर्मों को जलाकर भस्म कर देती है ।
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’समिद्धः’ / ’samiddhaḥ’- burning, blazing,
Chapter 4, śloka 37,
yathaidhāṃsi samiddho:'gnir-
bhasmasātkurute:'rjuna |
jñānāgniḥ sarvakarmāṇi
bhasmasātkurute tathā ||
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(yathā edhāṃsi samiddhaḥ agniḥ
bhasmasāt kurute arjuna |
jñānāgniḥ sarvakarmāṇi
bhasmasāt kurute tathā ||)
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Meaning :
arjuna! Like the blazing fire burns down the fuels to ashes, The fire of wisdom burns down the bundle of all action to ashes.
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