Thursday, July 17, 2014

आज का श्लोक, ’सचेताः’ / ’sacetāḥ’

आज का श्लोक, ’सचेताः’ / ’sacetāḥ’
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’सचेताः’ / ’sacetāḥ’ - स्वस्थ, शान्त, सहज और प्रसन्न मनःस्थिति वाला, सचेत,

अध्याय 11, श्लोक 51,
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दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जनार्दन ।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः ॥
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(दृष्ट्वा- इदम् मानुषं रूपम् तव सौम्यं जनार्दन ।
इदानीम्-अस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः ॥)
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भावार्थ : हे जनार्दन! आपके इस सौम्य और मनोहारी मानव-रूप को देखने के बाद अब मैं पुनः अपने को अपनी स्वाभाविक अवस्था में और प्रसन्न अनुभव कर रहा हूँ ।
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’सचेताः’ / ’sacetāḥ’ - with cool and complacent state of mind,

Chapter 11, śloka 51,
dṛṣṭvedaṃ mānuṣaṃ rūpaṃ
tava saumyaṃ janārdana |
idānīmasmi saṃvṛttaḥ
sacetāḥ prakṛtiṃ gataḥ ||
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(dṛṣṭvā- idam mānuṣaṃ rūpam
tava saumyaṃ janārdana |
idānīm-asmi saṃvṛttaḥ
sacetāḥ prakṛtiṃ gataḥ ||)
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Meaning :
arjuna said :
O  janārdana (Lord śrīkṛṣṇa)! Seeing Your gentle, amiable human form, I am now calm and comfortable again.
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