आज का श्लोक,
’समबुद्धयः’ / ’samabuddhayaḥ’
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’समबुद्धयः’ / ’samabuddhayaḥ’ - समदृष्टि रखनेवाले, भेद-बुद्धि न रखनेवाले,
अध्याय 12, श्लोक 4,
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहितेरताः ॥
--
(संनियम्य इन्द्रियग्रामम् सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति माम् एव सर्वभूतहिते रताः ॥)
--
भावार्थ :
अपनी समस्त इन्द्रियों को भली प्रकार से नियन्त्रण में रखते हुए, सर्वत्र समदृष्टि रखते हुए जो सब भूतों के हित में संलग्न रहते हैं, वे मुझको प्राप्त हो जाते हैं ।
--
’समबुद्धयः’ / ’samabuddhayaḥ’ - seeing all with the same disposition,
Chapter 12, śloka 4,
sanniyamyendriyagrāmaṃ
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti māmeva
sarvabhūtahiteratāḥ ||
--
(saṃniyamya indriyagrāmam
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti mām eva
sarvabhūtahite ratāḥ ||)
--
Meaning :
Those who keeping the senses well under control, look at all with the same disposition always with even-mind devoted for the welfare of all beings, they do attain Me.
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’समबुद्धयः’ / ’samabuddhayaḥ’
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’समबुद्धयः’ / ’samabuddhayaḥ’ - समदृष्टि रखनेवाले, भेद-बुद्धि न रखनेवाले,
अध्याय 12, श्लोक 4,
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहितेरताः ॥
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(संनियम्य इन्द्रियग्रामम् सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति माम् एव सर्वभूतहिते रताः ॥)
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भावार्थ :
अपनी समस्त इन्द्रियों को भली प्रकार से नियन्त्रण में रखते हुए, सर्वत्र समदृष्टि रखते हुए जो सब भूतों के हित में संलग्न रहते हैं, वे मुझको प्राप्त हो जाते हैं ।
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’समबुद्धयः’ / ’samabuddhayaḥ’ - seeing all with the same disposition,
Chapter 12, śloka 4,
sanniyamyendriyagrāmaṃ
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti māmeva
sarvabhūtahiteratāḥ ||
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(saṃniyamya indriyagrāmam
sarvatra samabuddhayaḥ |
te prāpnuvanti mām eva
sarvabhūtahite ratāḥ ||)
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Meaning :
Those who keeping the senses well under control, look at all with the same disposition always with even-mind devoted for the welfare of all beings, they do attain Me.
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