Thursday, July 10, 2014

आज का श्लोक, ’समक्षम्’ / ’samakṣam’

आज का श्लोक,
’समक्षम्’ / ’samakṣam’ 
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’समक्षम्’ / ’samakṣam’ - सामने,

अध्याय 11, श्लोक 42,

यच्चावहासार्थमसत्कृतोऽसि
विहारशय्यासनभोजनेषु ।
एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं 
तत्क्षामये त्वामहमप्रमेयम् ॥
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(यत् च अवहासार्थम् असत्कृतः असि
विहारशय्यासनभोजनेषु ।
एकः अथवा अपि अच्युत तत् समक्षम् 
तत्-क्षामये त्वाम् अहम् अप्रमेयम् ॥)
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भावार्थ :
आपको सखा मानकर, आपका जो भी परिहास मेरे द्वारा आपसे खेल-खेल में, आपके शय्या के अथवा भोजन आदि के समय, किसी एक या बहुत से  सखाओं आदि के सामने किया गया, हे अच्युत (हे कृष्ण)! उन सबके लिए मैं आपसे क्षमा याचना करता हूँ ।
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’समक्षम्’ / ’samakṣam’  - in front of (those others)

Chapter 11, śloka 42,

yaccāvahāsārthamasatkṛto:'si
vihāraśayyāsanabhojaneṣu |
eko:'thavāpyacyuta tatsamakṣaṃ 
tatkṣāmaye tvāmahamaprameyam ||
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(yat ca avahāsārtham asat kṛtaḥ asi
vihāra-śayyā-āsana-bhojaneṣu |
ekaḥ athavā api acyuta tat-samakṣam 
tat-kṣāmaye tvām aham aprameyam ||)
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Just out of fun, while in play, at rest, while seated or while dining, before one or many others, whatever disrespect I have done to you, I beg Your forgiveness, O acyuta! (kṛṣṇa!)
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