Sunday, July 6, 2014

आज का श्लोक, ’समन्तात्’ / ’samantāt’

आज का श्लोक,
’समन्तात्’ / ’samantāt’
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’समन्तात्’ / ’samantāt’ - सब ओर से,

अध्याय 11, श्लोक 17,

किरीटिनं गदिनं चक्रिणं च
तेजोराशिं सर्वतो दीप्तिमन्तम् ।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्ता-
द्दीप्तानलार्कद्युतिमप्रमेयम् ॥
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(किरीटिनम् गदिनम् चक्रिणम् च ।
तेजोराशिम् सर्वतः दीप्तिमन्तम् ।
पश्यामि त्वाम् दुर्निरीक्ष्यम् समन्तात्-
दीप्तानलार्क-द्युतिम्-अप्रमेयम् ॥)
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भावार्थ :
मुकुट, गदा तथा चक्र धारण किए हुए आपको, आपके सब ओर से प्रकाशमान तेजपुञ्ज को, प्रज्वलित अग्नि और सूर्य के समान द्युतिमान आपके रूप को जिसे देख पाना अत्यन्त ही कठिन है, मैं देख रहा हूँ ।
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अध्याय 11, श्लोक 30,

लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्ता-
ल्लोकान्समग्रान्वदनिर्ज्वलद्भिः ।
तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं
भासस्तवोग्राः प्रतपन्ति विष्णो ॥
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(लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्तात्
लोकान् समग्रान् वदनैः ज्वलद्भिः ।
तेजोभिः आपूर्य जगत् समग्रम्
भासः तव उग्राः प्रतपन्ति विष्णो ॥)
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भावार्थ :
हे विष्णु! (भगवान् विष्णु अर्थात् हरि, श्रीकृष्ण,) अपने प्रज्वलित हो रहे मुखों से आप सम्पूर्ण लोकों को सब दिशाओं में चखते और अपना ग्रास बनाते हुए, सम्पूर्ण जगत् को अपने तेज से ओत-प्रोत करते हुए, अपने प्रखर आलोक से सारे जगत् को तप्त कर रहे हैं ।
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’समन्तात्’ / ’samantāt’ - on all sides,

Chapter 11, śloka 17,

kirīṭinaṃ gadinaṃ cakriṇaṃ ca
tejorāśiṃ sarvato dīptimantam |
paśyāmi tvāṃ durnirīkṣyaṃ samantā-
ddīptānalārkadyutimaprameyam ||
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(kirīṭinam gadinam cakriṇam ca |
tejorāśim sarvataḥ dīptimantam |
paśyāmi tvām durnirīkṣyam samantāt-
dīptānalārka-dyutim-aprameyam ||)
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Meaning :
I see You crowned, armed with a mace (gadā), and a discus (cakra), like a column of splendor, shining on all sides,  immeasurable, and blinding the eyes with Your effulgence like that of the blazing Sun and Fire.
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Chapter 11, śloka 30,

lelihyase grasamānaḥ samantā-
llokānsamagrānvadanirjvaladbhiḥ |
tejobhirāpūrya jagatsamagraṃ
bhāsastavogrāḥ pratapanti viṣṇo ||
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(lelihyase grasamānaḥ samantāt
lokān samagrān vadanaiḥ jvaladbhiḥ |
tejobhiḥ āpūrya jagat samagram
bhāsaḥ tava ugrāḥ pratapanti viṣṇo ||)
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Meaning :
O viṣṇu! (Lord hari / śrīkṛṣṇa!) swallowing the worlds on all sides, You devour them, licking, relishing everything. Your beams of Light pierce through everything, pervading all, filling this all with your brilliance.
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